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यासीन भटकल, इंडियन मुजाहिदीन का पहला आतंकी जिसे दोषी पाया गया

हैदराबाद के दिलसुखनगर ब्लास्ट मामले की बात है. नाम तो देश भर के ब्लास्ट में है.

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फोटो - thelallantop
पहली बार इंडियन मुजाहिदीन का कोई आतंकी किसी मामले में दोषी पाया गया है. NIA की कोर्ट ने हैदराबाद के दिलसुखनगर ब्लास्ट के मामले में यासीन भटकल को दोषी ठहराया है. इसके साथ चार और लोग भी दोषी पाए गए हैं. 19 दिसंबर को सजा सुनाई जाएगी. ये ब्लास्ट 21 फरवरी 2013 को हुआ था. 18 लोग मरे थे. 131 लोग जख्मी हुए थे. इस ब्लास्ट का मुख्य अपराधी रिय़ाज भटकल है. पर वो फरार है. अगस्त 2013 में यासीन पकड़ा गया था. इंडियन मुजाहिदीन का कमांडर था ये. पूरा नाम यासीन मोहम्मद अहमद जरार सिदिबापा है. इसको पकड़ना मुश्किल हो गया था. क्योंकि ये टेलीफोन और इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करता था. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक दिलसुखनगर ब्लास्ट के बाद कई सारे कॉल डिटेल्स खंगाले जा रहे थे. इन सबके तार नेपाल से जुड़े हुए थे. पर कोई नाम सामने नहीं आ पा रहा था. नेपाल की इंटेलिजेंस एजेंसी ने यासीन को देखा वहां. इसकी सूचना इंडिया को दी गई. इसके बाद दो थ्योरीज हो जाती हैं. एक के मुताबिक भारत और नेपाल दोनों की इंटेलिजेंस एजेंसियों ने मिलकर ऑपरेशन किया और इसे पकड़ा. दूसरी के मुताबिक भारत ने नेपाल को अंधेरे में रखा क्योंकि किसी को पता चल जाने का डर था. भटकल अक्सर नेपाल से सटे बिहार में आ जाता. जब ये बिहार आता तो बुर्का पहन लेता. इसे डॉक्टर कहा जाता था. क्योंकि जड़ी-बूटियों का ज्ञान था इसे. तो एक दिन इसे इंडो-नेपाल बॉर्डर से ही उठा लिया गया. भटकल कर्नाटक के उडुपी जिले के भटकल गांव से आता है. इसका नाम अहमदाबाद, सूरत, बंगलोर, पुणे, दिल्ली और हैदराबाद के ब्लास्ट में आता है. 21 फरवरी 2013 को दिलसुखनगर के कोणार्क और वेंकट सिनेमा थियेटर के पास ब्लास्ट हुआ था. जब यासीन इस मामले में पकड़ा गया तो उसके रिश्तेदारों को बिल्कुल ही अंदाजा नहीं था कि ये एक खतरनाक आतंकवादी है. इंडियन मुजाहिदीन को 2007 में बैन किया गया था. उत्तर प्रदेश के वाराणसी, फैजाबाद और देश के कई शहरों में ब्लास्ट और कई तरह के खतरनाक प्लानों का आरोप है इन पर. जब मिडिल ईस्ट के आतंकवादी और अल कायदा वाले अपना संगठन इंडिया में बढ़ाना चाहते थे, तब इंडिया को सबसे ज्यादा डर इंडियन मुजाहिदीन से ही था.
 

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