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"तांत्रिक के कहने पर पार्टी का नाम बदला"- वित्त मंत्री सीतारामन का KCR पर तंज

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने अपने पार्टी का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति कर दिया है.

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निर्मला सीतारमण और के. चंद्रशेखर राव. (फाइल फोटो: पीटीआई)

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि केसीआर 'तांत्रिकों' और 'ज्योतिषियों' से सलाह लेते हैं. और तांत्रिक की सलाह पर ही केसीआर ने अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति (BRS) रखा है. सीतारमण ने यह भी आरोप लगाया कि तांत्रिक की सलाह पर ही राव ने राज्य सचिवालय जाना बंद कर दिया.

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सीतारमण ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा,

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'तांत्रिक और ज्योतिषियों की सलाह पर केसीआर ने सचिवालय जाना बंद कर दिया है, इसी आधार पर उन्होंने कई सालों से अपने कैबिनेट में महिलाओं को जगह नहीं दी और अब अपने पार्टी का नाम बदल दिया है.'

के. चंद्रशेखर राव ने साल 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी पार्टी का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति कर दिया है. और दोबारा से सत्ता में आने के बाद भी केसीआर की कैबिनेट में कोई महिला मंत्री नहीं है. 

वित्त मंत्री की तरह ही हैदराबाद में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए तेलंगाना बीजेपी प्रमुख बंडी संजय कुमार ने भी इसी तरह का आरोप लगाया.  संजय कुमार ने कहा, 

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'केसीआर तांत्रिकों के कहने पर कई सालों से तांत्रिक पूजा और कर्मकांड करा रहे हैं. तांत्रिक ने उनसे कहा था कि यदि वे टीआरएस का नाम नहीं बदलते हैं तो वो सत्ता से बाहर हो जाएंगे.'

हालांकि अभी तक केसीआर की ओर से इन आरोपों पर प्रतिक्रिया नहीं आई है.

इसके साथ-साथ निर्मला सीतारमण ने तेलंगाना की आर्थिक स्थिति पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जब साल 2014 में तेलंगाना बना था तो वह जितना खर्च करता था, उससे ज्यादा कमाता था. लेकिन अब ये स्थिति बिगड़ गई है.

उन्होंने कहा, 

'2014 में जब तेलंगाना राज्य का गठन किया गया था, तब यह एक राजस्व अधिशेष (खर्च के मुकाबले अधिक कमाई) राज्य था. आज, तेलंगाना राज्य पर 3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, जो जीएसडीपी (राज्य की जीडीपी) के मुकाबले लगभग 25 फीसदी है.'

केंद्रीय वित्त मंत्री ने इसके साथ ही तेलंगाना के कालेश्वरम परियोजना की लागत पर भी सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि शुरु में इसकी लागत 40,000 करोड़ रुपये आंकी गई थी, लेकिन अब ये बढ़कर 1.40 लाख करोड़ रुपये हो गई है. सीतारमण ने इसका कारण भी नहीं बताया गया है कि लागत में इतनी बढ़ोतरी क्यों हुई है.'

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