सोशल मीडिया की वजह से सूचनाएं बहुत हो गई हैं. कौन सी सच्ची है, कौन सी झूठी और कौन सी प्रोपोगैंडा, ये मालूम करना तो और भी मुश्किल हो गया है. कोई भी कुछ भी लिखकर ज्ञान बांट रहा है. तथ्य और अफवाह के बीच का फर्क मिट सा गया है. खासकर सोशल मीडिया पर झूठ आराम से फैला दिया जा रहा है. फसादों के दौरान सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारियां फैलाकर बहुत नुकसान करवा दिया जाता है. उदाहरण सामने रहे. एेसी फेक न्यूज़ से निपटने के लिए फेसबुक कदम उठा रहा है. फेसबुक पर भ्रामक पोस्ट को disputed मार्क किया जाएगा. यह डिस्प्यूटेड का टैग जल्द ही लॉन्च होगा, अभी सबके लिए उपलब्ध नहीं है.
इस नए फीचर के तहत जिन खबरों पर शक होगा कि वो 'फेक न्यूज़' हैं, उन्हें लोग मार्क कर पाएंगे. इन खबरों को जांचने के लिए फेसबुक ने कुछ फैक्ट चेकर्स के साथ समझौता किया है. एबीसी न्यूज़, फैक्ट चेक डॉट ऑर्ग, स्नूप्स और पॉलिटिफैक्ट जैसे ये तथ्य जांचने वाले हैं जो इंटरनेशनल फैक्ट चेकिंग कोड ऑफ प्रिंसिपल्स को मानते हैं. इनमें से कोई भी किसी खबर का खंडन करेगा तो वो पोस्ट न्यूज़ फीड पर 'डिसप्यूटेड' टैग के साथ दिखेगी, उसके साथ एक लिंक भी जुड़ा होगा जिसमें ये बताया जाएगा कि संबंधित खबर गलत क्यों हो सकती है. 'डिसप्यूटेड' पोस्ट न्यूज़ फीड में नीचे कर दी जाएंगी और उन्हें शेयर करते वक्त फेसबुक यूज़र को एक वॉर्निंग दिखेगी. कुछ लोगों ने ट्विटर पर इसके स्क्रीनशॉट शेयर किए हैं.
'डिसप्यूटेड' टैग फिलहाल अमेरिका में शुरू किया है. यहां राष्ट्रपति चुनावों के दौरान फेसबुक के न्यूज़ फीड से भ्रामक जानकारी फैलने के मामले सामने आए थे. खुद ओबामा ने इस पर चिंता जताई थी. फिलहाल फेसबुक के हेल्प सेक्शन में फेक न्यूज़ मार्क करने से जुड़ा सवाल जोड़ दिया गया है. लेकिन इसका जवाब सभी के लिए उपलब्ध नहीं है. ये टैग चुनिंदा लोग इस्तेमाल कर पा रहे हैं. इसलिए अनुमान है कि फेसबुक इस टैग को फिलहाल टेस्ट कर रहा है. फेसबुक इस फीचर को जर्मनी और फ्रांस में भी शुरू करने की तैयारी कर रहा है. वहां भी चुनाव होने हैं.
कोई सूचना जब खबर की तरह पेश की जाती है, तो उसे सच की तरह लिया जाने लगता है. इसलिए भ्रामक खबरें एक बहुत बड़ी समस्या के तौर पर उभरी हैं. इससे पहले गूगल भी फेक न्यूज़ से निपटने के लिए कदम उठा चुका है. फेसबुक की ये पहल किस हद तक रंग लाती है, ये इस टैग के आधिकारिक लॉन्च के बाद ही पता चलेगा.
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