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यूपी में बिजली संकट ने रुलाया, सरकार के मंत्री बोले, 'BJP सरकार बनने के बाद बढ़ रही गर्मी'

यूपी में बेतहाशा बिजली कटौती से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. बिजली कटौती ने लोगों को परेशान कर रखा है और ऊर्जा मंत्री कह रहे कि तापमान में बढ़ोतरी की वजह से ये दिक्कत आ रही है.

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उत्तर प्रदेश में बिजली कटौती से सब परेशान. (सांकेतिक तस्वीरें- इंडिया टुडे)

तेज धूप है, पारा 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर. गर्मी से हाल बेहाल. इसी बीच पेड़ के नीचे कुछ किसान बैठे हैं, कंधों पर गमछा लिए. ये किसान छोटी सी बैठक कर रहे हैं. ये बैठक लखनऊ से क़रीब 60 किलोमीटर दूर बाराबंकी के हैदरगढ़ में बिजली को लेकर हो रही है. किसान परेशान हैं क्योंकि धान की फसल में सिंचाई करनी है. लेकिन बिजली नहीं आ रही. लखनऊ के राजेश व्यापारी हैं. मोहनलालगंज में रहते हैं. इनका भी हाल गर्मी ने बेहाल कर रखा है. बैठक कर रहे किसान हों या व्यापार करने वाले राजेश, यूपी में सबकी परेशानी का सबब है बिजली. गर्मी बढ़ने के साथ बिजली की समस्या ने इस वक़्त परेशानी को दोगुना कर दिया है.

उत्तर प्रदेश के सभी 75 ज़िलों में इस वक्त बिजली ने लोगों की परेशानी बढ़ा रखी है. एक तरफ बढ़ता पारा और दूसरी तरफ बढ़ती बिजली कटौती. सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद शहरों से लेकर गांवों तक घंटों बिजली कटौती हो रही है. सरकार ने घोषणा की है कि शहरों में 24 घंटे, तहसीलों में 22 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में कम से कम 20 घंटे बिजली आपूर्ति होनी चाहिए. गर्मी के मौसम से पहले इतनी आपूर्ति ज़्यादातर जगहों पर हो भी रही थी, लेकिन गर्मी बढ़ते ही डिमांड बढ़ी और उसके साथ ही कटौती शुरू हो गई. अब स्थिति ये है कि गांवों में 12-12 घंटे की कटौती हो रही है तो शहरी क्षेत्रों में भी कटौती का कोई हिसाब नहीं रह गया है.

सरकार क्या कह रही?

यूपी के ऊर्जा मंत्री अरविंद शर्मा ने ट्वीट कर कहा है कि 2012-17 के बीच बिजली की अधिकतम मांग 13 हजार 598 मेगावॉट थी जो अब 2023 में बढ़कर 27 हजार 611 मेगावॉट हो गई है. एके शर्मा ने कहा कि वर्तमान में न्यूनतम बिजली की मांग 18 हजार 701 मेगावॉट की है जो कि 2017 के अधिकतम मांग से कहीं ज़्यादा है. इस वजह से कुछ दिक्कतें आ रही हैं, जिन्हें ठीक करने के प्रयास किए जा रहे हैं. 

मंत्री ने पिछले साल के जून महीने का आंकड़ा पेश करते हुए बताया कि जून 2022 में बिजली की अधिकतम मांग 26 हजार 369 मेगावॉट की थी जिसमें इस साल बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने कहा कि ये डिमांड अप्रत्याशित और ऐतिहासिक है. आजतक बिजली की इतनी मांग नहीं आई थी.

ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने मौसम को लेकर एक रोचक आंकड़ा भी पेश करते हुए कटौती की दिक्कत होने की दुहाई दी है. उन्होंने 2012 से लेकर 2023 तक के अधिकतम तापमान का भी ज़िक्र किया है. उनके आंकड़े के मुताबिक़ 2012 में अधिकतम पारा 40 डिग्री ही रहता था, जो साल दर साल बढ़ते-बढ़ते 2023 में 47 डिग्री तक जा पहुंचा है.

एके शर्मा के अनुसार,

"2017 में जब बीजेपी की सरकार बनी तब अधितम तापमान 40 डिग्री ही रहता था. इसके बाद 2018 में 42 डिग्री, 2019 में 39 डिग्री, 2020 में 42 डिग्री, 2021 में 43 डिग्री, 2022 में 44 डिग्री और इस साल 47 डिग्री तक पहुंच गया है. इसलिए बिजली की मांग और आपूर्ति इस साल सबसे ज़्यादा है."

वहीं बिजली विभाग के मुताबिक़ ओवरलोड की वजह से ट्रिपिंग की तमाम शिकायतें आ रही हैं. ये भी कटौती की एक बड़ी वजह है.

बिजली उत्पादन घटा?

हालांकि बिजली विभाग और सरकार के मंत्री की बातों से आम लोग और कर्मचारी संघ के नेता शैलेन्द्र दूबे इत्तेफाक नहीं रखते. उन्होंने दी लल्लनटॉप को बताया कि साल 2012 में बिजली विभाग में नियमित कर्मचारियों की संख्या 42 हज़ार थी, जो 2021 में घटकर 37 हज़ार रह गई. वर्तमान में संविदा पर लगभग 68 हज़ार कर्मचारी काम कर रहे हैं जबकि कुल ज़रूरत कम से कम 2 लाख 65 हज़ार कर्मचारियों की है.

शैलेन्द्र दूबे ने कहा,

"बिजली विभाग में संविदा पर कर्मचारी होने ही नहीं चाहिए. ऐसे में मानक के हिसाब से कुल आवश्यकता 2 लाख 65 हज़ार से ज़्यादा कर्मचारियों की है जबकि स्थायी और संविदा मिलाकर आंकड़ा लगभग एक लाख तक ही पहुंच रहा है. ऐसे में ट्रिपिंग से लेकर फॉल्ट तक की समस्याओं का निपटारा करने के लिए जितने कर्मचारी चाहिए, उतने हैं नहीं तो दिक्कत आख़िर दूर कैसे होगी."

उत्तर प्रदेश में बिजली कटौती से नाराज़ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऊर्जा मंत्री समेत विभाग के बड़े अधिकारियों को तलब किया. कटौती को लेकर जवाब मांगा गया और हिदायत दी गई कि अनावश्यक कटौती कहीं न हो. मुख्यमंत्री ने साफ़ कहा कि अगर मांग और आपूर्ति में फ़र्क है और बिजली की कमी आ रही है तो जितनी ज़रूरत है, उतनी बिजली ख़रीदी जाए. उन्होंने कहा कि राज्य में बिजली की कोई कमी नहीं है. 

हालांकि मुख्यमंत्री की हिदायतों का भी कोई ख़ास असर होता नहीं दिख रहा है. राजधानी लखनऊ समेत हर ज़िले में बिजली को लेकर समस्याएं हैं. शहरी क्षेत्र में थोड़ी कम दिक्कत है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में हालात दयनीय हो चुके हैं. लोग टोल फ्री नम्बर से लेकर ट्विटर तक और लोकल नेताओं से लेकर बड़े अधिकारियों तक से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अभी तक हालात में सुधार के संकेत नहीं मिले हैं.

हिस्सों में बिजली कटौती

बिजली की समस्या से शहरी लोग भी परेशान हैं और गांव में रहने वाले भी. शहरों में एयर कंडीशनर चलाना ज़रूरी हो गया है तो गांव के लोगों के लिए धान की सिंचाई से बढ़कर फ़िलहाल कुछ नहीं है. राजधानी लखनऊ के शहरी क्षेत्र में कटौती हिस्सों में हो रही है. कभी आधे घंटे तो कभी 15 मिनट कर के दिन में कई बार बिजली कट रही है. वहीं ग्रामीण हिस्सों में घंटों-घंटों बिजली का कुछ अता पता नहीं चल रहा है.

फ़िलहाल सरकार ने स्थिति सुधारने के लिए 27 अधिकारियों को प्रदेश के अलग-अलग ज़िलों में भेजा है. ये सभी अधिकारी 21 जून तक आवंटित ज़िलों में कैम्प करके वहां मौजूद बिजली की समस्या पर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेंगे. इनकी रिपोर्ट के आधार पर बिजली कटौती को लेकर प्लान तैयार करके दिक्कतों को दूर करने की कार्य योजना बनाई जाएगी. देखते हैं कब यूपी में सब 'चंगा' होगा.

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