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120 करोड़ के फार्महाउस में क्यों चल रहा ED का ऑफिस? मामला अब कोर्ट में पहुंच गया

ED Gurugram Office: फार्महाउस उन 3 संपत्तियों में से एक है, जिसे जब्त करने के बाद ED के ‘ऑफिस’ के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. बाकी के दो मामले रांची और मुंबई के हैं.

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ED की जब्ती को कोर्ट में चुनौती दी गई है. (सांकेतिक तस्वीर: एजेंसी)

साउथ दिल्ली के राजोकरी (Rajokri Farmhouse) में प्रवर्तन निदेशालय (ED) का ‘गुरुग्राम जोनल ऑफिस’ चल रहा है. राजोकरी के ग्रीन्स स्थित फार्म नंबर 22, ED के कार्यालय के रूप में काम कर रहा है. ED ने इस फार्महाउस को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में जब्त किया था. लेकिन ये संपत्ति यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के पास लोन के लिए बंधक रखी गई थी. बैंक ने ED की इस जब्ती को कोर्ट में चुनौती दी है. इस संपत्ति की कीमत 120 करोड़ रुपये आंंकी गई है. 

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ED Office का पूरा मामला

इंडियन एक्सप्रेस से जुड़ीं रितु सरीन ने इस मामले को रिपोर्ट किया है. ये फार्महाउस अतुल बंसल नाम के एक रियल एस्टेट एजेंट का था. अतुल को प्रापर्टी और मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में मुख्य आरोपी बनाया गया था. अतुल की अब मौत हो चुकी है. उन्होंने ये संपत्ति 2004 में खरीदी थी. और 2012 में अपनी दूसरी संपत्तियों के साथ इसे बैंकों के एक समूह के पास 111 करोड़ रुपये के लोन के बदले गिरवी रख दी थी.

राजोकरी फार्महाउस को अतुल बंसल की कंपनी विजडम रियलटर्स ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के पास गिरवी रखा था. भुगतान न करने पर बैंक ने 2017 में इस संपत्ति पर कब्जा कर लिया. विजडम रियलटर्स ने ऋण वसूली न्यायाधिकरण (DRT) में इस कब्जे को चुनौती दी. और स्टे ऑर्डर ले आया. इसके बाद बैंक ने फिर से ऋण वसूली अपीलीय न्यायाधिकरण (DRAT) में अपील की.

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ऐसे हुई ED की एंट्री

वर्तमान में ED के कब्जे का मामला पंचकूला के PMLA कोर्ट में चल रहा है. पंचकूला में यूनियन बैंक की ओर से पेश हुए वकीलों ने कहा कि उन्हें 2019 में ही पता चला कि ED ने पहले ही उनकी संपत्ति कुर्क कर ली थी. और बाद में उसे जब्त कर लिया था. जो उनके पास गिरवी रखी गई थी.

2019 के DRAT के एक आदेश पता चलता है कि तब विजडम रियलटर्स ने बैंक को 96 करोड़ रुपये के लिए एक समझौता प्रस्ताव दिया था. जिसके लिए एक खरीदार संपत्ति खरीदने का तैयार भी था. लेकिन इसकी बिक्री नहीं हो पाई.

बैंक की आपत्ति

बैंक के वकील आलोक कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कुर्की या जब्ती का उद्देश्य सरकारी खजाने के लिए बकाया राशि वसूलना है. और जब्ती के बावजूद ED ने ना तो इसे बैंक को सौंपा और ना ही सार्वजनिक धन वसूलने के लिए इसकी नीलामी की. ऐसा करने से जब्ती का उद्देश्य विफल हो जाता है. उन्होंने आगे कहा कि इस तरह ये प्रॉपर्टी ‘नॉन परफॉर्मिंग एसेट’ (NPA) बन गई है. आलोक ने ये भी कहा कि इस फार्महाउस में ऑफिस खोलने से PMLA का उद्देश्य ही विफल हो जाता है.

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ED के शीर्ष अधिकारियों ने अखबार को बताया है कि ये फार्महाउस उन 3 संपत्तियों में से एक है, जिसे जब्त करने के बाद ED के ‘ऑफिस’ के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. बाकी के 2 मामले रांची और मुंबई के हैं. ऐसा हो सकता है कि वहां बैंक द्वारा किसी तरह चुनौती ना दी गई हो.

ED के पास क्या अधिकार हैं?

अधिकारियों ने आगे बताया कि PMLA की धारा 9 के प्रावधानों के तहत ऐसी जब्त की संपत्तियां केंद्र सरकार के पास रहती हैं. और 12 सितंबर, 2023 को वित्त मंत्रालय की एक राजपत्र अधिसूचना आई थी. इसने ED के स्पेशल डायरेक्टर्स को इन संपत्तियों के मामले में ‘प्रशासक’ की शक्तियां दीं. उनको इसे रिसीव करने, मैनेज करने और निपटारा करने की शक्ति दी गई थी.

एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि अधिसूचना में ये नहीं कहा गया है कि ED जब्त की गई संपत्तियों का उपयोग कार्यालय के रूप में कर सकता है. लेकिन संपत्तियों का उपयोग और प्रबंधन, विभाग अपनी इच्छानुसार कर सकता है. उन्होंने उदाहरण के लिए कहा कि ED इस फार्महाउस का उपयोग तब तक करेगा जब तक कि संपत्ति के निपटान का समय नहीं आ जाता.

फार्महाउस में काम करने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आदर्श रूप से, ED का गुरुग्राम में ही अपना जोनल ऑफिस होना चाहिए. और अगर उन्हें वैकल्पिक जगह दी जाती है, तो शायद भविष्य में ED द्वारा फार्महाउस का उपयोग प्रशिक्षण केंद्र के रूप में किया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि संपत्ति को अपने जोनल कार्यालय के रूप में उपयोग करके, कम से कम फार्महाउस का रखरखाव किया जा रहा है और इसे खराब होने से बचाया जा रहा है.

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