अपने कार्यकाल की शुरुआत से ही अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अजीबोगरीब फैसले लेते रहे हैं. कभी वो सरकारी खर्चों में कटौती करने के लिए DOGE बनाते हैं, कभी टैरिफ लगाकर दुनिया भर के मार्केट को डिस्टर्ब कर देते हैं. और अब उनका हालिया फैसला महिलाओं से जुड़ा है. 20 जनवरी 2025 को उनके द्वारा जारी किए गए आदेश के मुताबिक उनके प्रशासन ने महिलाओं की उपलब्धियों को पब्लिक रिकॉर्ड्स से हटाने की मुहिम शुरू कर दी है. यानी अब वो सारे सरकारी रिकॉर्ड्स जिनमें महिलाओं के अचीवमेंट्स दर्ज हैं, वो हटा दिए जाएंगे.
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Donald Trump के आदेश के मुताबिक उनके प्रशासन ने महिलाओं की उपलब्धियों को पब्लिक रिकॉर्ड्स से हटाने की मुहिम शुरू कर दी है.

जनवरी से ही अमेरिकन मीडिया में इस बात की चर्चा थी. भारत के मीडिया संस्थानों ने भी इसे उठाया था. अपने आदेश में ट्रंप ने डाइवर्सिटी, इक्विटी और इन्क्लूजन जैसे कार्यक्रमों को अवैध और अनैतिक बताया था. सबसे पहले ट्रंप ने नासा को महिलाओं से जुड़ी जानकारियां मिटाने का आदेश दिया गया. इसके बाद पेंटागन ने भी महिला सैनिकों की ऐतिहासिक उपलब्धियों से जुड़ी जानकारियां, अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से हटा दी. ट्रंप का ये फैसला यहीं नहीं थमता. उन्होंने अर्लिंगटन स्थित नेशनल सिमेट्री की वेबसाइट से महिला वेटरन का पेज ही हटवा दिया है. अर्लिंगटन नेशनल सिमेट्री में अमेरिकन सैनिकों की कब्र है.
TIME में छपे Anna Funder के एक लेख के अनुसार यह ऑरवेलियन लगता है. ट्रंप आज जो भी कर रहे हैं, वो पूरी प्रक्रिया जॉर्ज ऑरवेल के 1984 से मेल खाती हैं. इसमें सरकार कई तथ्यों को मिटा देती है. ये वो तथ्य होते हैं जो उनकी विचारधारा या सोच को चुनौती देते हैं. 1984 में भी विंस्टन स्मिथ नाम का बंदा 'मिनिस्ट्री ऑफ ट्रुथ' में काम करता है. यहां एक सिरे से असुविधा पैदा करने वाले तथ्यों को बदलने का काम किया जाता है. और अब ट्रंप भी उसी राह पर हैं.
Anna अपनी किताब वाइफडम: मिसेज ऑरवेल इनविजिबल लाइफ में लिखती हैं कि जॉर्ज ऑरवेल की पत्नी आइलीन ओ 'शोनेसी का उनके जीवन ऑर लेखन, दोनों में बहुत बड़ा योगदान रहा. लेकिन इतिहास में उन्हें कभी वो नाम ऑर सम्मान नहीं मिला जिसकी वो हकदार थीं. उन्होंने ही ऑरवेल से कहा कि वो स्टालिन पर सीधी कहानी लिखने की जगह इनडायरेक्ट लिखें. बकौल Anna, ट्रम्प जो कर रहे हैं, ये आज की कहानी नहीं है. हमेशा से महिलाओं साइडलाइन किया जाता रहा है. पुरुषों की इनसिक्योरिटी का खामियाजा हमेशा से महिलाओं को भुगतना पड़ा है.
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