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कभी दिल्ली के सबसे अमीर लोगों में शुमार छूनामल की हवेली क्यों बिक रही है?

कौन थे छूनामल, क्या है हवेली की ख़ासियत?

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ये हवेली एक एकड़ का क्षेत्र में है. इसमें 128 कमरे हैं जिसमें नौकरों को छोड़कर परिवार के 30 सदस्य रह सकते हैं.
दिल्ली. देश का दिल. यहां चांदनी चौक की पराठे वाली गली पूरी दुनिया में मशहूर है. पराठे वाली गली के अलावा एक और चीज़ है, जो न सिर्फ फेमस है बल्कि जिसने भारतीय इतिहास के कई पन्ने देखे हैं. जिसने दिल्ली को मॉर्डन होते देखा है. जिसने दिल्ली में राजनीति के बदलते रंगों को देखा है. जिसने दिल्ली की चिलचिलाती धूप भी देखी है और कड़कड़ाती ठंड भी. ये एक हवेली है. 128 कमरों वाली हवेली. लाला छूनामल हवेली. दिल्ली आने वाले टूरिस्ट के लिए ये आकर्षण का केंद्र रहती है. ये हवेली अब बिकने जा रही है. छूनामल हवेली की ऑफिशियल वेबसाइट पर इसकी सेल भी शुरू हो चुकी है. कौन थे लाला छूनामल छूनामल हवेली दिल्ली के चांदनी चौक में है. जिसके आस-पास ही जामा मस्जिद और चावड़ी बाज़ार भी है. इसे मुगलों के समय में बनवाया गया था. इसे साल 1848 में लाला छूनामल ने बनवाया था. जो ब्रिटिश भारत के पहले म्यूनिसिपल कमिश्नर हुआ करते थे. वह शहर में पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिनके पास टेलीफोन और गाड़ी हुआ करती थी. अब छूनामल की दसवीं पीढ़ी उनकी इस हवेली की देखभाल कर रही है.
लाला चुन्नामल हवेली के अंदर की तस्वीर
लाला चुन्नामल हवेली के अंदर की तस्वीर

दिल्ली में ऐसी कई इमारते हैं, जो मुगलों के समय की हैं. इनका इतिहास भी बेहद अनूठा है. BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ साल पहले दिल्ली की 554 ढहती हवेली को दिल्ली सरकार ने बहाल करने की योजना बनाई थी. लेकिन लाला छूनामल की हवेली के मालिक और शेयर होल्डर अनिल प्रसाद ने बिना किसी सरकारी सहायता के इस हवेली को महफूज़ रखा था. अनिल प्रसाद के कजंन सुनील मोहन और बाकी रिश्तेदारों ने भी इस हवेली की शानो-शौकत बनाकर रखी है. भरी दिल्ली में बाहर से ये हवेली भले ही जैसी लगे मगर अंदर से आज भी ये शानदार दिखती है. क्यों बिक रही है हवेली? हवेली के मालिक सुनील मोहन के प्रवक्ता अमित वाही से जब हमने बात की तो उन्होंने कहा,
हवेली को बेचने की वजह सिर्फ यही है कि छूनामल परिवार के सभी लोग अब बाहर है. ये आज की जनरेशन हैं और प्रॉपर्टी इतनी बड़ी है कि इसकी देखरेख करने के लिए फिलहाल कोई नहीं हैं. सुनील मोहन की भी फैमिली बाहर है. जो इस प्रॉपर्टी के शेयर होल्डर हैं. बस इसलिए प्रॉपर्टी बेची जा रही है.
अमित ने कहा,
इस हवेली को इन फ्यूचर डेस्टिनेशन पॉइंट की तरह यूज़ कर सकते हैं. चांदनी चौक तो डिज़ाइनर्स का हब है. तो बड़े डिज़ाइनर्स इसमें आउटलेट्स खोल सकते हैं. कैफेज़ ओपेन हो सकता है. हम चाहते हैं कि इतनी बड़ी प्रॉपर्टी का री-यूज़ हो.
चुन्नामल हवेली का एक दृश्य.
चुन्नामल हवेली का एक दृश्य.

BBC को दिए एक इंटरव्यू में अनिल प्रसाद ने बताया था,
ये हवेली एक एकड़ के क्षेत्र में है. इसमें 128 कमरे हैं जिसमें नौकरों को छोड़कर परिवार के 30 सदस्य रह सकते हैं. मगर अब ज़्यादातर फैमिली मेंबर्स ने हवेली के अपने हिस्सों को बंद कर दिया है. वो शहर के ही दूसरे इलाकों में शिफ्ट हो गए हैं.
साल 2016 में जब अनिल से पूछा गया कि क्या वो इस हवेली को छोड़ना या कभी इसे बेचना चाहेंगे तो उन्होंने साफ मना कर दिया था. उन्होंने कहा था,
मैं ऐसा नहीं करना चाहता, मैं इसकी देखभाल कर सकता हूं जिसमें मेरे खुद के पैसे लग रहे हैं. मैं खुद को दिल्ली के किसी भी दूसरे हिस्से में नहीं देख सकता. मैं इसी हवेली में रहना चाहता हूं जहां मेरे पूर्वज रहते थे और उन्होंने इतिहास के बहुत सारी चीज़ें देखी हैं.
हमने इस मामले में अनिल प्रसाद से भी बात करने की कोशिश की. मगर उनसे फिलहाल संपर्क नहीं हो पाया है. ये हवेली अब बिकने जा रही है. हवेली की ऑफिशियल साइट पर जाकर खरीददार संपर्क कर सकते हैं. खूबसूरत इंटीरीयर इस खूबसूरत हवेली की छत से पूरे चांदनी चौक को देखा जा सकता है. संकरी सीढ़ियों से ऊपर जाते रास्ते आपको इसकी शानो-शौकत को दिखाते हैं. इसी हवेली में एक बेहद खूबसूरत आईना भी लगाया गया है. जिसे बेल्जियम का बताया जाता है.
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चुन्नामल हवेली का एक दृश्य.

छूनामल एक अमीर व्यक्ति थे. कहा तो ये भी जाता है कि वो मुगल के अंतिम सम्राट बहादुर शाह ज़फर को पैसे उधार दिया करते थे. सिर्फ यही नहीं शाही घराने के लिए शॉल, ब्रोकेड जैसी चीज़ें भी दिया करते थे. उनके रिश्ते ब्रिटिशर्स से भी काफी अच्छे थे.