The Lallantop

इस ऑटो वाले का नंबर मिले तो सेव कर लेना

संगम विहार में रहता है. खोए बच्चों को पुलिस की मदद से उनके घरवालों तक पहुंचाता है.

Advertisement
post-main-image
Source : Twitter
बचपन में मेरी मम्मी अक्सर एक किस्सा सुनाया करती थी. मेरे भाई के खो जाने की. भइया तीन साल का था. मम्मी उसे लेकर डॉक्टर के पास गई थी. दवाइंया लेनी थी तो पास के मेडिकल शॉप पर रूक गई. पर्चा दुकानवाले को पकड़ा कर दवाइंया देने बोली. भीड़ की वजह से दुकानदार ने मम्मी को वहीं खड़े रहने को बोला. गर्मी की वजह से भइया की हालत खराब हो रही थी. वो रोने लगा. मम्मी ने पास रखे स्टूल पर उसे बिठा दिया. और बोली की यहीं बैठे रहना. भइया बहुत शैतान था. गुब्बारे वाले को देख उसके पीछे हो लिया. दवाई लेने के बाद मम्मी भइया को ढ़ूढ़ने लगी. इधर-उधर देखा पर कहीं न था. परेशान होकर घर आई और पापा को बताई. पापा गुस्साने लगे और दादी छाती पीटने लगी. घर में चिल्ला-चिल्ली होने लगा. इसी बीच एक आदमी भइया को गोद में लिए पापा का नाम पूछते घर आया. भइया को देखकर मम्मी की जान में जान आई. उस आदमी को पापा ने थैंक्स बोला और पैसे देने लगे पर उसने लिया नहीं. दिल्ली के संगम विहार में रहने वाला कुमार भी ऐसा ही है. पेशे से ऑटो ड्राइवर है. रोजाना सुबह 8 बजे ऑटो लेकर दिल्ली की सड़कों पर निकलता है. पैसेंजर्स को उनके डेस्टिनेशन तक छोड़ता है. रास्ते में पुलिस-वुलिस दिख गए तो बड़े प्यार से मुस्कुरा सलाम साब कर निकल लेता है. इन सब के अलावा कुमार खोए बच्चों को उनके पेरेंट्स से मिलाने का काम भी करता है. मई में उसने 8 साल के एक बच्चे को उसके पेरेंट्स तक पहुंचाया था. नेहरू प्लेस में वो बच्चा गुम हो गया था और रो रहा था. कुमार ने बच्चे से बात की तो पता चला कि गलत बस में चढ़कर वो यहां आ गया है. ये भी बताया कि उसका घर द्वारका मोड़ में हैं. उसने अपने घर का नंबर भी बताया. कुमार ने फोन किया तो बच्चे की मां से बात हुई. वो फिर उसे उसके घर छोड़ आया. कुमार को ये काम करना अपनी जिम्मेदारी लगती है. 13 मई को जब वो कालका जी से वापस लौट रहा था तो उसकी नजर 4 साल के बच्चे पर पड़ी. देशबंधु कॉलेज के पास बैठा था. कुमार बात करने गया तो वो रोने लगा. उसने फिर उसे कोल्ड ड्रिंक लाकर दिया. उसके बाद कई घरों में जाकर बच्चे के बारे में पूछताछ की. किसी ने जब कोई मदद नहीं की तो वो पुलिस स्टेशन पहुंच गया. दोबारा कुमार एक हवलदार के साथ इलाके में गया. बच्चे के दादा ने उसे पहचान लिया. इस सब के बाद कुमार ने पुलिस से गुम हुए बच्चों की डिटेल देने को कहा है. ताकी खोए हुए बच्चों को उनके परिवार से मिला सके. और उनकी मदद कर सके. कुमार का कहना है कि वो कुछ अलग नहीं कर रहा. वो बस अपनी ड्यूटी कर रहा है. जिस तरह वो अपने बच्चों का ख्याल रखता है. साउथ-ईस्ट के डीसीपी एमएस रंधावा ने कुमार के इस काम के लिए उसे सम्मानित करने की गुजारिश की है.

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement