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जब हिंदू महापंचायत कवर करने गए मुस्लिम पत्रकारों ने अपने नाम बता दिए

हिंदू महापंचायत में मौजूद पत्रकारों ने अपनी आपबीती बताई है

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हिंदू महापंचायत के आयोजक प्रीत सिंह (बाएं), दिल्ली पुलिस की गाड़ी में बैठे पत्रकार (दाएं) (फोटो: ट्विटर)
दिल्ली (Delhi) के बुराड़ी (Burari) इलाके में रविवार, 3 मार्च को हुई 'हिंदू महापंचायत' (Hindu Mahapanchayat) कई वजहों से विवादों में है. इस कार्यक्रम में कथित तौर पर कुछ पत्रकारों के साथ हाथापाई की गई. इन पत्रकारों का यह आरोप भी है कि इसके बाद पुलिस ने भीड़ पर कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि उन्हें ही हिरासत में ले लिया. ये पूरा मामला सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. पत्रकारों को हिरासत में लिया? रविवार को बुराड़ी में आयोजित इस महापंचायत को कवर करने के लिए कई मीडिया संस्थानों के पत्रकार पहुंचे थे. इनमें क्विन्ट के मेघनाद बोस, न्यूजलॉन्ड्री की शिवांगी सक्सेना, द हिंदुस्तान गैजेट के मीर फैसल, फ्रीलांसर अरबाब अली और फोटो पत्रकार मेहरबान के नाम शामिल हैं. इन सभी ने हिंदू महापंचायत में पत्रकारों के साथ हुई कथित घटनाओं के बारे में ट्विटर पर जानकारी दी है. पत्रकार अरबाब अली ने अपने ट्वीट में लिखा,
"वो लोग मंच से जहर उगल रहे थे. मैं और मीर लोगों के इंटरव्यू ले रहे थे. अचानक से कुछ दक्षिणपंथी कार्यकर्ता आए और हमारे फोन और कैमरों को छीन लिया. हमने जो वीडियो बनाए थे, वो भी डिलीट करवा दिए. जब मीर और मैंने उनको अपने नाम बताए तो उन्होंने हमें जिहादी बताया."
अरबाब ने आगे बताया,
"जहां ये सब हो रहा था, वहां करीब 50 पुलिसकर्मी मौजूद थे. हमने भीड़ को अपने मीडिया कार्ड भी दिखाए, लेकिन वो शांत नहीं हुए. उनमें से कुछ लोग कहने लगे कि हमारी पिटाई कर देनी चाहिए. हमारे साथ हाथापाई की गई. बाद में सिविल कपड़ों में दो महिला और दो पुरुष पुलिस वाले हमारे पास आए. वे हमें किनारे ले गए, हमें लगा कि वे भी भीड़ का ही हिस्सा हैं. उन्होंने हमें पुलिस की गाड़ी में धकेल दिया. भीड़ ने चारों ओर से पुलिस की गाड़ी को घेर लिया, हमारे बगल में बैठे एक पुलिस वाले पर भी भीड़ ने हमला किया. इसके बाद हमें मुखर्जी नगर पुलिस स्टेशन ले जाया गया." 
वहीं, क्विन्ट के मेघनाद बोस ने ट्वीट कर लिखा,
"दो युवा मुस्लिम पत्रकार मीर फैसल और मोहम्मद मेहरबान पर हिंदू महापंचायत में मौजूद हिंदू भीड़ ने हमला कर दिया. यहां मुस्लिम विरोधी भाषण दिए जाए रहे थे. मुझे और चार अन्य पत्रकारों (सभी मुस्लिम) को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. हम अभी पुलिस की गाड़ी में हैं."  
इसी तरह से न्यूजलॉन्ड्री की पत्रकार शिवांगी सक्सेना ने उनके साथ हुई कथित हाथापाई के बारे में ट्वीट कर जानकारी दी. उन्होंने लिखा,
"पुलिस की पीसीआर वैन में पांच पत्रकारों को रखा गया है. किस जुर्म के लिए? भीड़ को गिरफ्तार करने के बजाए, डीसीपी पत्रकारों पर भीड़ को भड़काने का आरोप लगा रही हैं."
प्रीत सिंह ने क्या कहा? हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक जब इस कार्यक्रम के आयोजक प्रीत सिंह से पत्रकारों के साथ हुई कथित हाथापाई के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा,
"पत्रकारों पर कोई हमला नहीं हुआ. हमने मंच से कई बार घोषणा की थी कि (अगर पत्रकार) आयोजकों के अलावा किसी और से बात करते हैं तो उसके लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे."
पुलिस ने क्या कहा? पत्रकारों को हिरासत में लेने के आरोप को दिल्ली पुलिस ने पूरी तरह नकार दिया है. डीसीपी नॉर्थ वेस्ट उषा रंगरानी (Usha Rangnani) ने इस मामले में एक ट्वीट कर बताया,
“कुछ पत्रकार अपनी मर्जी से, भीड़ से बचने के लिए कार्यक्रम स्थल पर तैनात पीसीआर वैन में बैठ गए. सुरक्षा कारणों से पुलिस स्टेशन जाने का विकल्प चुना गया. इन पत्रकारों की मौजूदगी से वहां लोगों में नाराज़गी थी. इसलिए ये लोग खुद पुलिस के पास आए, किसी को हिरासत में नहीं लिया गया था. पुलिस ने सुरक्षा दी है.” 
डीसीपी उषा रंगरानी ने ये भी कहा है कि इस मामले को लेकर गलत जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ जल्द सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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