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दिल्ली सरकार करवा सकती है 'नकली बारिश', क्या खत्म हो जाएगा वायु प्रदूषण?

कृत्रिम बारिश धूल, धुएं और रसायनों समेत प्रदूषकों को कम करने में मदद कर सकती है. इससे धुंध को दूर करने में मदद भी मिल सकती है जिससे हवा साफ और ज्यादा सांस लेने योग्य हो जाएगी.

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दिल्ली में कृत्रिम बारिश! (फोटो- इंडिया टुडे)

दिल्ली सरकार प्रदूषण को कंट्रोल (Delhi Air Pollution) करने के लिए एक नए उपाय पर विचार कर रही है. खबर है कि राजधानी में कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) कराए जाने का प्लान है. पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने जानकारी दी है कि बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए 20 और 21 नवंबर को दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है. 

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गोपाल राय ने 8 नवंबर की शाम IIT कानपुर की टीम के साथ बैठक बुलाई थी, जिसमें इंस्टीट्यूट ने दिल्ली सरकार को कृत्रिम बारिश का पूरा प्लान सौंपा. जल्द ही प्लान को सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा. दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार से सहयोग की मांग भी की है.

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उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने एक पोस्ट में बैठक के बारे बताया,

CII और IIT कानपुर के प्रतिनिधिमंडल ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए राजधानी में क्लाउड सीडिंग- कृत्रिम बारिश की संभावना पर चर्चा की है. उन्हें एक ठोस प्रस्ताव पेश करने को कहा गया है.

IIT कानपुर के प्रोफेसर सच्चिदा नंद त्रिपाठी ने बताया कि कृत्रिम बारिश के लिए इस्तेमाल होने वाले उपकरणों को स्टॉक कर लिया गया है. उन्होंने बताया कि उनकी टीम बादलों की स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही है.

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क्या है Artificial Rain? 

कृत्रिम बारिश को क्लाउड सीडिंग भी कहा जाता है. कुछ पदार्थ जैसे सिल्वर आयोडाइड या पोटेशियम आयोडाइड को विमान के जरिए हाई प्रेशर के साथ बादलों में डाला जाता है. ये पदार्थ वहां कंडेन्सेशन की प्रोसेस को बढ़ावा देता है, जिससे बारिश या बर्फ बनती है. कभी कभार इस प्रक्रिया के लिए विस्फोटक रॉकेट का भी यूज किया जाता है. इस प्रक्रिया के लिए प्राकृतिक बादलों का मौजूद होना सबसे जरूरी है.

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फोटो-X

कृत्रिम बारिश धूल, धुएं और रसायनों समेत प्रदूषकों को कम करने में मदद कर सकती है. इससे धुंध को दूर करने में मदद भी मिल सकती है जिससे हवा साफ और ज्यादा सांस लेने योग्य हो जाएगी. वायु गुणवत्ता पर भी असर पड़ सकता है. क्लाउड सीडिंग से प्रदूषण पर कितना असर पड़ेगा, ये बात स्थानीय मौसम की स्थिति, प्रदूषकों के प्रकार और टारगेट एरिया पर भी निर्भर करती है.

चीन बारिश को बढ़ाने और सूखे की स्थिति से निपटने के लिए कई क्लाउड सीडिंग प्रोजेक्ट्स पर काम कर चुका है. 2008 में तो बीजिंग ओलंपिक में उद्घाटन समारोह के दौरान वहां बारिश को रोकने के लिए क्लाउड सीडिंग का उपयोग किया गया था. UAE के सूखे इलाकों में भी कई सालों से क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल किया जा रहा है. नतीजे सफल रहे हैं. 

बता दें, दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ कैटेगरी में है. बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली में ऑड-इवन सिस्टम भी शुरू किया गया है. इसके तहत अब एक दिन ऑड और दूसरे दिन इवन नंबर की गाड़ियां चलाई जाएंगी. दूसरे राज्यों में रजिस्टर ऐप बेस्ड भी दिल्ली में नहीं चलेंगी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के लिए सरकारों को डांट लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और राज्य सरकारों से कहा है कि पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए किसानों को मुफ्त में दूसरे साधन मुहैया कराएं.

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