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राजेंद्र नगर हादसा: पुलिस-सरकार-MCD, दिल्ली HC ने सबके धागे खोल दिए

Delhi High Court ने कहा कि MCD के किसी सीनियर अधिकारी पर कार्रवाई नहीं हुई, पुलिस की 'अजीब जांच' चल रही है और दिल्ली सरकार के पास बुनियादी ढांचे के लिए पैसे नहीं हैं. कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में तीन स्टूडेंट्स की मौत पर दिल्ली ने सबकी क्लास लगाई.

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दिल्ली की एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में 3 स्टूडेंट्स की मौत के मामले में हाई कोर्ट ने सरकार, MCD और पुलिस को फटकार लगाई. (कोचिंग सेंटर की फाइल फोटो: PTI)

दिल्ली हाई कोर्ट में 31 जुलाई को ओल्ड राजेंद्र नगर की एक कोचिंग में 3 स्टूडेंट्स की मौत से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. एक्टिंग चीफ जस्टिस (ACJ) मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेदेला की बेंच ने मामले में जिम्मेदारी तय किए जाने की बात कही. बेंच ने दिल्ली सरकार, दिल्ली नगर निगम (MCD) और दिल्ली पुलिस की क्लास लगाई. अथॉरिटीज के कामकाज पर सख्त टिप्पणी की. ये भी पूछा कि मामले में MCD के सीनियर अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई.

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‘रेवड़ी संस्कृति’ पर कोर्ट की टिप्पणी

हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार की नीतियों की आलोचना की. कहा कि 'रेवड़ी संस्कृति' के चलते सरकार के पास शहर की बढ़ती आबादी के लिए बुनियादी ढांचे, खासकर शहर की जल निकासी प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए पैसा नहीं है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक हाई कोर्ट ने कहा,

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"आप बहुमंजिला इमारतों की मंजूरी दे रहे हैं, लेकिन नाली की कोई उचित व्यवस्था नहीं है. आपके विभाग दिवालिया हो चुके हैं. अगर आपके पास सैलरी देने के लिए पैसे नहीं हैं, तो आप बुनियादी ढांचे को कैसे अपग्रेड करेंगे? आप रेवड़ी संस्कृति चाहते हैं. आप पैसे नहीं जुटा रहे हैं, इसलिए आप पैसे खर्च नहीं कर रहे हैं... त्रासदी तो होनी ही थी."

कोर्ट ने पूछा, ‘क्या MCD से कोई जेल गया है?’

दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (MCD) को भी फटकार लगाई. कोर्ट को बताया गया कि कुछ नगर निगम अधिकारियों को उनकी चूक के लिए टर्मिनेट किया गया है. NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक इस पर बेंच ने कहा, 

“आपने जूनियर अधिकारियों को नौकरी से निकाल दिया है, लेकिन सीनियर अधिकारियों का क्या? जिन्हें निगरानी करनी चाहिए थी. क्या MCD से कोई जेल गया है?…कभी-कभी सीनियर अधिकारियों को निरीक्षण करना होता है. लेकिन वे अपने एसी दफ्तरों से बाहर नहीं निकलते.”

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कोर्ट ने आगे टिप्पणी की,

"अगर आपको लगता है कि इमारतों से आप प्रकृति से लड़ सकते हैं, तो आप गलत हैं. और ये क्या प्लानिंग है? एक दिन आप सूखे की शिकायत करते हैं और अगले दिन बाढ़ आ जाती है? आप किसी भी चीज़ के लिए तैयार नहीं हैं…इस शहर में 3.3 करोड़ लोगों की आबादी है, जबकि इसकी योजना 6-7 लाख लोगों के लिए बनाई गई थी. आप बुनियादी ढांचे को अपग्रेड किए बिना कैसे इतने लोगों के रहने की योजना बना रहे हैं?"

दिल्ली हाई कोर्ट की बेंच ने इसे 'बुनियादी ढांचे की विफलता' बताते हुए ये भी कहा कि इस मामले में जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए.

रास्ते से गुजरे ड्राइवर को पकड़ने का क्या तुक?

मामले में एक SUV ड्राइवर की गिरफ्तारी को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाया. कहा कि एक 'अजीब जांच' चल रही है. ACJ मनमोहन बोले,

"पुलिस रास्ते से गुजरे एक ड्राइवर को पकड़कर क्या कर रही है...कह रही है कि 'क्योंकि आप रास्ते से गुजरे, इसलिए पानी बेसमेंट में घुस गया'. क्या आपने उस व्यक्ति से पूछताछ की है जिसने गाद निकालने का काम नहीं किया?"

बेंच ने आगे कहा,

"क्या उनका दिमाग खराब हो गया है? दिल्ली पुलिस क्या कर रही है? इसके अधिकारी क्या कर रहे हैं? लीपापोती की कोशिश हो रही है क्या? क्या अब तक इस घटना के लिए किसी अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया गया है? हम आपसे कह रहे हैं कि एक बार अधिकारियों की जवाबदेही तय हो गई, तो भविष्य में ऐसी कोई घटना नहीं होगी."

हाई कोर्ट ने इस मामले में किसी केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने का भी संकेत दिया है. साथ ही, अथॉरिटीज को ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में नालों पर सभी अवैध निर्माण और अतिक्रमण को 2 अगस्त तक हटाने का निर्देश दिया है. इस मामले में अगली सुनवाई 2 अगस्त को होगी. 

(PTI-भाषा के इनपुट के साथ)

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