संडे का दिन था. दीपक अपनी मम्मी और बहनों के साथ ऋषिकेश घूमने गया हुआ था. दिल्ली में रहने वाले अधिकतर लोग ऐसे ही करते हैं. वीकेंड पर दिल्ली के आसपास ऐसी जगहों पर जाने का प्लान बनाते हैं, जहां एक-दो दिन में घूम-घामकर आया जा सके. दीपक ने भी ऐसा ही किया. शायद सैटरडे को प्लान बनाया होगा. या शायद उससे भी पहले. पर ये ट्रिप उसकी ज़िंदगी की आखिरी ट्रिप साबित हुई.
उसने दो लोगों की जान बचाई, लेकिन गंगा ने उसके लिए कुछ और तय कर रखा था
दिल्ली से ऋषिकेश घूमने गए एक लड़के की कहानी.

21 साल का दीपक दिल्ली के नांगलोई इलाके का रहने वाला था. वो दिल्ली से 40 लोगों के एक ग्रुप के साथ ऋषिकेश घूमने गया था. इनलोगों में दीपक की मां और दो बहनें भी थीं. जब ये लोग पूर्णानंद घाट पर नहा रहे थे, तभी दीपक ने देखा कि गंगा में नहाते हुए ग्रुप के दो लड़के नदी के तेज़ बहाव में चले गए.
उन्हें देखते ही दीपक ने नदी में छलांग लगा दी. उसकी कोशिश कामयाब हुई. वो इन दोनों लड़कों को बचाकर किनारे पर ले आया. लेकिन... इस अच्छे काम के बदले उसकी किस्मत में कुछ और ही लिखा था.

ऋषिकेश के एक घाट की तस्वीर
किनारे पहुंचने पर संतुलन बिगड़ने से दीपक का पैर फिसल गया और वो खुद गंगा के तेज़ बहाव की चपेट में आ गया. वो खुद को नहीं बचा सका और डूब गया.
वहां मौजूद दीपक के ग्रुप वालों ने जब शोर मचाया, तो गोताखोरों की एक टीम ने दीपक को किसी तरह पानी से निकाला. उस समय दीपक बेसुध हालत में था. उसे हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका. डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
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