घर के किसी सदस्य की मौत एक बहुत दुखभरी घटना होती है. लेकिन 19वीं सदी में इंग्लैंड में इसे फैमिली फ़ोटो खींचने का मौका माना जाता था.BBC UK की खबर है. बहुत सारे ऐसे फ़ोटो इकट्ठे किये हैं. जिनमें परिवार के किसी मरे हुए सदस्य के साथ फ़ोटो खिंचवाई गयी हैं. फ़ोटोज़ इस तरह से खींची जाती थीं कि लगे वो इंसान मरा नही है. गहरी नींद में सो रहा है या बस अभी-अभी नींद लगी है.
लोगों का मानना था कि मौत इंसान को और खूबसूरत बना देती है.19वीं सदी में इंग्लैंड में बहुत सारी बीमारियां फैली थीं. डिप्थेरिया, कॉलरा जैसी महामारियां थीं. बच्चे 10 साल के होने से पहले ही मर जाते थे. सबसे ज्यादा टीबी से मौतें होती थीं. लेकिन लोग मानते थे कि टीबी होने से औरत का बदन दुबला और छरहरा हो जाता है. चेहरे से सारा एक्स्ट्रा मांस घट जाता है. औरतें पहले से ज्यादा खूबसूरत हो जाती हैं. मौत हो जाने पर उनके चेहरे पर अलग ही चमक आ जाती है.
उस वक़्त जिन कैमरों का इस्तेमाल होता था उनसे फ़ोटो अक्सर धुंधले से आते थे. लेकिन मरे हुए इंसान की फ़ोटोज़ हमेशा बहुत ही शार्प आती थी. कारण ये था कि मरा हुआ इंसान बिलकुल भी हिलता डुलता नहीं था.

credit: tumblr

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credit: BBC UK
जब डेड बॉडी की आंखें बंद होती थीं. लोगों ने इसमें भी अपनी क्रिएटिविटी दिखा डालीं. फ़ोटो धुल कर आने के बाद उनपर ऊपर से खुली हुई आंखें बना दीं जाती थीं.
इन फ़ोटोज़ का बहुत बड़ा कलेक्शन ऑस्ट्रेलिया की स्टेट लाइब्रेरी में सहेज कर रखा हुआ है.
Credit: BBC UK