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Axis Bank के ग्राहक इसे 'भारत का सबसे खराब बैंक' क्यों कह रहे हैं?

बैंक के 'कॉन्सोलिडेटेड चार्ज' पर ग्राहकों का पारा चढ़ा हुआ है, लेकिन ये है क्या?

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यूज़र्स एक्सिस बैंक की तरफ से काटे जा रहे कॉन्सोलिडेटेड चार्ज को लेकर लगातार शिकायत कर रहे हैं. (फाइल फोटो- India Today)
एक्सिस बैंक के ग्राहक गुस्से में हैं. इतने कि इसे देश का सबसे खराब बैंक बता रहे हैं. उनके गुस्से की वजह भी बताएंगे. लेकिन पहले कुछ ट्वीट्स देखिए. थोड़ा बहुत मामला इन्हीं से समझ आ जाएगा. बाकी हम तो हैं ही.
सैयद रहीम एक्सिस बैंक सपोर्ट को मेंशन करते हुए लिखते हैं –
“ये क्या है? क्या आपने अपने किसी कर्मचारी की सैलरी मेरे अकाउंट से काट ली है? मतलब सीरियसली ये है क्या? अभी कुछ महीने पहले आपके ही एक कर्मचारी ने मुझे बताया था कि मेरे अकाउंट पर अब कोई पेंडिंग चार्ज नहीं है, तो अब ये क्या है? #axisbankchorhai
#consolidatedcharges
#axisbankfraud
साथ में रहीम ने अपने एक्सिस बैंक अकाउंट स्टेटमेंट का एक स्क्रीनशॉट भी अटैच किया है, जिसमें उनके अकाउंट से कॉन्सोलिडेटेड चार्ज के नाम पर 6694 रुपये काटे गए हैं. ऐसा ही एक ट्वीट विशाल तिवारी ने भी किया. लिखा –
#AxisBank
मतलब धोखेबाज बैंक #ConsolidatedCharges
बता के पहले खाते से 4453 रुपये काटे, ऊपर से 18% #GST
चार्ज भी लगा दिया. #Corona
काल में भी लूट मचा रखी है. #AxisBankFraudBank
रहीम की तरह विशाल ने भी स्क्रीनशॉट अटैच किया, जिसमें कॉन्सोलिडेटेड चार्ज के नाम पर 4453 रुपये कटे हुए दिख रहे हैं.
बैंक के एक और कस्टमर कृष्ण मूर्ति लिखते हैं,
"एक्सिस बैंक भारत का सबसे ख़राब बैंक है, इसकी सेवाएं भी सबसे ख़राब हैं. हर 2-3 महीने में ये कॉन्सोलिडेटेड चार्ज के नाम पर पैसा काट लेते हैं."
इन्होंने भी स्क्रीनशॉट अटैच किया है, जिसमें इनके अकाउंट से कई बार अलग-अलग मदों में पैसा कटा है. यानी एक्सिस बैंक को लेकर लगातार ये शिकायतें आ रही हैं कि ये कॉन्सोलिडेटेड चार्ज के नाम पर ग्राहकों के खाते से भारी-भारी अमाउंट काट रहा है. अव्वल तो इतना ज़्यादा डिडक्शन देखकर ही लोगों के होश उड़ जा रहे हैं, फिर उन्हें ये भी समझ नहीं आ रहा कि कॉन्सोलिडेटेड चार्ज नाम की चिड़िया है क्या? पूरे मसले को समझने की कोशिश करते हैं. क्या होता है कॉन्सोलिडेटेड चार्ज? एक्सिस बैंक की वेबसाइट पर कॉन्सोलिडेटेड चार्ज की परिभाषा
दी गई है. लिखा है,
"बैंक में आपका जिस कैटेगरी का अकाउंट का होता है, उसके हिसाब से आपसे कुछ चार्ज वसूले जाते हैं. ये चार्ज उन सभी अतिरिक्त सेवाओं या उत्पाद के लिए होते हैं, जो आप बैंक की तरफ से इस्तेमाल कर रहे हैं. इन सारे चार्जेस को बैंक जोड़ता है और ‘कॉन्सोलिडेटेड चार्ज’ नाम की कैटेगरी बनाकर महीने के अंत में आपके अकाउंट से काट लेता है."
Consolidated Charges एक्सिस बैंक की वेबसाइट पर दर्ज कॉन्सोलिडेटेड चार्जेस की परिभाषा. (फोटो क्रेडिट- Axis Bank)

यानी ये तो समझ आ गया कि कॉन्सोलिडेटेड चार्ज के अंदर तमाम सारे चार्ज जुड़े होते हैं, जिन्हें बैंक इकट्ठा करके महीने के अंत में काट लेता है. लेकिन ऐसे कौन से चार्ज होते हैं, जो जोड़-बटोरकर हज़ारों में पहुंच जाते हैं? किन-किन मदों में पैसा कटता है? बैंक की वेबसाइट
 ये भी बताती है कि कॉन्सोलिडेटेड चार्ज में कौन-कौन से चार्ज शामिल होते हैं. इसके मुताबिक,
# डेबिट कार्ड चार्ज. इसमें डेबिट कार्ड इश्यू कराने का चार्ज, डेबिट कार्ड का सालाना चार्ज या खो जाने पर अगर आपने दूसरा कार्ड इश्यू कराया है तो उसका चार्ज शामिल होता है.
# अकाउंट में मिनिमम बैलेंस मेंटेन न रखने पर लगने वाला चार्ज.
# तय सीमा से अधिक बार ATM से पैसा निकालने पर या तय सीमा से अधिक चेक इस्तेमाल करने पर लगने वाला चार्ज.
# SMS अलर्ट जैसी वैल्यू ऐडेड सेवाओं के लिए चार्ज.
# चेक बाउंस होने या ऑटो डेबिट फेल्योर जैसे मसलों पर लगने वाला चार्ज.
# डुप्लीकेट पासबुक बनवाने, डीडी बनवाने जैसी सुविधाओं पर लगने वाला चार्ज.
# डीमैट अकाउंट या लॉकर वगैरह जैसी सुविधाएं ले रखी हैं, तो उन पर लगने वाला चार्ज.
Consolidated Charges Components इन सारे मदों में कटने वाला पैसा कॉन्सोलिडेटेड चार्ज में आता है. (फोटो क्रेडिट- Axis Bank)
बैंक का क्या कहना है? मद कोई भी और कितने भी हों, लेकिन जिस ग्राहक के अकाउंट से 4 हज़ार, 6 हज़ार रुपये कट जाएंगे, वो तो सन्नाटे में आ ही जाएगा. लोगों की ये कई-कई दिन की सैलरी के बराबर रकम होती है. और इतना चार्ज शायद ही किसी और बैंक में कटता हो.
इस बारे में बैंक का क्या कहना है, ये जानने के लिए हमने बात की एक्सिस बैंक की नोडल डेस्क से. डेस्क के कस्टमर रिप्रज़ेंटेटिव सैयद नावेद ने बताया -
"कॉन्सोलिडेटेड चार्जेस में कुछ भी ऐसा नहीं होता, जो छिपा हुआ चार्ज हो. खाता खुलवाते समय कस्टमर को नियम-कायदे पढ़ने को दिए जाते हैं, उसमें सब लिखा होता है कि बैंक किन-किन मदों में चार्ज काटता है. उदाहरण के लिए- अगर सैलरी अकाउंट है तो मिनिमम बैलेंस वाली कोई कंडीशन नहीं होती. लेकिन अगर सैलरी अकाउंट नहीं है तो मेट्रो सिटी में 10 हज़ार, टियर-2 सिटी में 5 हज़ार और टियर-3 सिटी में ढाई हज़ार रुपये का बैलेंस मेंटेन रखना होता है. मिनिमम बैलेंस नहीं है तो चार्ज कटेगा. इसी तरह अन्य मदों में भी."
हमने पूछा कि ऐसा भी क्या चार्ज काट लेते हैं कि मामला हज़ारों में पहुंच जाता है. इस पर सैयद ने बताया -
"इतने बड़े अमाउंट का डिडक्शन तभी होता है, जब कोई चेक बाउंस हो गया हो, कोई EMI मिस हो गई हो या क्रेडिट कार्ड की पेमेंट समय से न की गई हो. मान लीजिए कि आपके एक्सिस बैंक अकाउंट से कोई EMI कट रही है. 25 तारीख़ की डेट है EMI कटने की. अब 25 को अकाउंट में EMI भर का पर्याप्त पैसा नहीं है तो 500 रुपये कटेंगे. अब बैंक अगर अगले 2 दिन में 3 बार आपके अकाउंट से EMI निकालने की कोशिश करता है तो हर बार के 500-500 रुपये कटेंगे. अब जब आपने अकाउंट में पैसे डाले तो 1500 रुपये कट जाएंगे, जो कॉन्सोलिडेटेड चार्ज के नाम से कटे होंगे. ऐसे में ग्राहक को लगता है कि उसे बड़ा नुकसान हो गया."
अब बात आती है कि कॉन्सोलिडेटेड चार्ज के नाम पर बड़ा अमाउंट कट जाए तो उसका रिफंड पाने का भी कोई रास्ता है या नहीं? इस पर सैयद नावेद ने बताया कि 100 फीसदी रिफंड आ पाना तो मुश्किल रहता है. लेकिन अगर किसी केस में ये पाया जाए कि तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से कोई गफलत हुई और चार्ज कटा तो कस्टमर को अधिक से अधिक रिफंड देने की कोशिश की जाती है. इसके लिए उसे नज़दीकी ब्रांच में संपर्क करना होता है.