दारू-चखना वाले दोस्त तो बहुत देखे. पर संडास बनाने वाला दोस्त नहीं देखा. राहुल, नवीनराज, हरीश और वासेगरन. ये चारों दोस्त हैं अगाथियान के. जो खुले में हल्का होने सेे बीमार पड़ा है. और स्कूल नहीं जा पा रहा. लेकिन अब जाएगा. क्योंकि राहुल, नवीनराज, हरीश और वासेगरन की नंबर 1 यारी ने अगाथियान के लिए संडास बना डाला है.
तमिलनाडु में नागपट्टनम जिला है. वहां है थेथाकुड़ी गांव. जहां अगाथियान और उसके पक्के वाले दोस्त राहुल, नवीनराज, हरीश और वासेगरन रहते हैं. सरकारी स्कूल के कक्षा 7 में पढ़ते हैं. अगाथियान बहुत दिनों से स्कूल में दिख नहीं रहा था. राहुल, नवीनराज, हरीश और वासेगरन को चिंता हुई. स्कूल के बाद वो सीधा अगाथियान के घर पर गिरे.

दोस्त से मुलाकात हुई. पूछे,
'स्कूल काहे नहीं आ रहे हो?' अगाथियान ने अपने शरीर पर हुए घाव दिखा दिए. दोस्तों ने पूछा कि कैसे हुआ. तो उसने बताया कि उसके घर में संडास नहीं है. उसे हल्का होने के लिए बाहर जाना पड़ता है. गंदगी के चलते उसके शरीर पर इंफेक्शन हो गया है. इसी वजह से वो स्कूल नहीं आ रहा. दरअसल अगाथियान का परिवार बहुत गरीब है. टॉयलेट बनाने के पैसे नहीं थे.

दोस्त से मिलने के बाद चारों लड़के अगले दिन अपने क्लास टीचर बेरिमन से मिले. और अगाथियान की दिक्कत बताई. बेरिमन ने उनको पैसे जमा करके संडास बनाने का शानदार सा आइडिया सुझाया. चारों लड़के जुट गए पैसे इकठ्ठे करने के लिए. एक रैली निकाली. जिससे लोग संडास को लेकर जागरूक हो जाएं. और घर में संडास बनवा लें.

अगाथियान के क्लासमेट्स ने ही इतने पैसे दे दिए, जो संडास बनाने के लिए काफी था. सामान खरीद लाए. और खुद ही जुट गए संडास बनाने में. जिससे मजदूरों को देने वाला पैसा बच जाए. रेत-सीमेंट खुद मिलाया. और चारों ने तैयार कर दिया झक्कास टॉयलेट.
7वीं के बच्चे की कित्ती उम्र होती है. मुश्किल से 11-12 साल. अगर वो अपने दोस्त के लिए इतना कर सकते हैं, तो वो लोग क्यों नहीं, जो आज भी हल्का होने खेतों में जाते हैं?