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सिर पकड़कर बैठ गए दुनिया के उद्योग! चीन ने क्यों रोक दी मेटल्स की सप्लाई?

कार और ड्रोन से लेकर रोबोट और मिसाइलों तक सब कुछ असेंबल करने के लिए ज़रूरी मैग्नेट की खेप को कई चीनी बंदरगाहों पर रोक दिया है. चीन का यह कदम 3 अप्रैल से लागू है. चीन पूरी दुनिया में इन धातुओं की क़रीब 90 फीसदी आपूर्ति करता है. इसी वजह से इस फील्ड में चीन का एकछत्र राज है.

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चीन के इस कदम ने उद्योग जगत में चिंता बढ़ा दी है. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)

चीन और अमेरिका के बीच छिड़े भीषण टैरिफ युद्ध का खामियाज़ा पूरी दुनिया को उठाना पड़ रहा है. चीन (China) ने अमेरिका (US) समेत पूरी दुनिया को तगड़ा झटका दिया है. बीजिंग ने कई कीमती मेटल (Rear Earth Material) के निर्यात पर रोक लगा दी है. इसका नुकसान सिर्फ अमेरिका को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को भुगतना होगा. क्योंकि इन धातुओं का इस्तेमाल हाई-टेक्नोलॉजी मशीनों जैसे इलेक्ट्रिक मोटर्स, ड्रोन-मिसाइलें, जेट इंजन-लेजर, कंप्यूटर चिप्स-स्मार्टफोन्स, EVs और सैटलाइट्स बनाने में बेहद अहम माने जाते हैं.

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न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कार और ड्रोन से लेकर रोबोट और मिसाइलों तक सब कुछ असेंबल करने के लिए ज़रूरी मैग्नेट की खेप को कई चीनी बंदरगाहों पर रोक दिया है. चीन का यह कदम 3 अप्रैल से लागू है. मेटल और उनसे बनी स्पेशल मैग्नेट सिर्फ स्पेशल एक्सपोर्ट लाइसेंस के साथ ही चीन से बाहर भेजे जा सकते हैं. लेकिन इन लाइसेंसों को जारी करने के लिए बीजिंग की पॉलिसी काफी सख़्त है.

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वहीं, चीनी सरकार एक नई रेगुलेटरी पॉलिसी बनाने में जुटी है. दावा है कि नई पॉलिसी के एक बार लागू होने के बाद अमेरिकी डिफेंस कंपनियों सहित कुछ कंपनियों तक आपूर्ति को स्थायी रूप से रोका जा सकता है. इसकी वजह से उद्योग के दुनिया में चिंता है. चीन के बाहर खनिजों और उत्पादों की मौजूदा आपूर्ति कम हो सकती है.

चीन पूरी दुनिया में इन धातुओं की क़रीब 90 फीसदी आपूर्ति करता है. इसी वजह से इस फील्ड में चीन का एकछत्र राज है. अमेरिका के लिए झटका बड़ा इसलिए है क्योंकि डिस्प्रोसियम और यट्रियम जैसे मिनरल अमेरिकी उद्योग के लिए बेहद ज़रूरी है. ये मटेरियल ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर और एयरोस्पेस बिजनेस मैन्युफैक्चरिंग में इस्तेमाल किए जाते हैं. चीन के इस कदम से दुनियाभर में मोटर व्हीकल, एयरक्राफ्ट, सेमीकंडक्टर और हथियार बनाने वाली कंपनियों पर गहरा असर पड़ेगा और ये महंगे हो सकते हैं.

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गौरतलब है कि टैरिफ वॉर से पहले भी चीन अपना आधिपत्य सिद्ध करने का संकेत देता रहा है. ड्रैगन ने ट्रंप के पहले टर्म के दौरान रेयर अर्थ मटेरियल की शिपिंग को रोकने की धमकी दी थी. इसके अलावा 2010 में एक क्षेत्रीय विवाद चलते जापान को दी जाने वाली सप्लाई सस्पेंड कर दी थी. फिर एक बार यह कदम दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार तनाव को बढ़ा सकता है.

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