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नैन्सी पेलोसी पर बौखलाए चीन ने अमेरिका को चेताया, 'दोबारा किसी को ताइवान मत भेज देना'

उधर अमेरिका ने चीनी राजदूत को समन जारी कर फटकार लगाई है.

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अमेरिकी सदन की स्पीकर नैन्सी पेलोसी और चीन के विदेश मंत्री वांग यी. (फोटो: रॉयटर्स)

अमेरिकी संसद के निचले सदन की स्पीकर नैन्सी पेलोसी के ताइवान दौरे के बाद अमेरिका और चीन बीच खड़ा हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक तरफ अमेरिका ने इस मामले में चीन की 'आक्रामक' प्रतिक्रिया के चलते चीनी राजदूत को समन जारी किया है, वहीं दूसरी तरफ चीन ने कहा है कि अमेरिका अपने एक दूसरे स्पीकर को ताइवान भेजकर गलतियां न दोहराए. 

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रॉयटर्स के मुताबिक चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा, 

'अमेरिका को कोई अधिकार नहीं है कि अब वो अपने एक दूसरे स्पीकर को ताइवान भेजकर वही गलतियां दोहराए.'

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चीनी विदेश मंत्री ने आगे कहा, 

'अमेरिकी सदन की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने चीन के कड़े विरोध को दरकिनार किया. यह बेशर्मी ही है कि उन्होंने चीन के ताइवान क्षेत्र का दौरा किया. इसने चीन की संप्रभुता गंभीर रूप से प्रभावित हुई है और यह हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है.'

वहीं, अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता जॉन किर्बी ने बताया कि ह्वाइट हाउस ने चीन के 'आक्रामक' रवैये के प्रति अपना विरोध जताने के लिए शुक्रवार को चीनी राजदूत को समन जारी किया है. अमेरिकी अधिकारियों ने राजदूत से कहा कि चीन की मिलिट्री कार्रवाई गैर-जिम्मेदाराना है और यह ताइवान क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के विपरीत है.

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रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी अधिकारियों ने चीनी प्रतिनिधि से ये स्पष्ट कर दिया है कि चीन जो भी करना चाहता है, उसके लिए अमेरिका तैयार है.

उधर ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि कुल 68 चीनी सैन्य विमान और 13 नौसेना जहाज संवेदनशील ताइवान स्ट्रेट (Taiwan Strait) में शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं और उनमें से कुछ ने 'जानबूझकर' दोनों पक्षों को अलग करने वाले अनौपचारिक बफर क्षेत्र को पार किया है.

ताइवान को अमेरिकी दौरे का सपोर्ट किया

बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वु ने नैन्सी पेलोसी के दौरे का समर्थन किया और चीन की मिलिट्री कार्रवाई को लेकर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि पेलोसी के दौरे का मुख्य मकसद इस द्वीप की तरफ अंतरराष्ट्रीय जगत का ध्यान खींचना था.

चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और उसे सीधे बीजिंग के नियंत्रण में लाने की बात करता है. जबकि ताइवान का मानना है कि वह चीन से अलग है और पूरी तरह स्वतंत्र होकर द्वीप में अपनी सरकार चलाना चाहता है.

जोसेफ वु का कहना है कि चीन लंबे समय से ताइवान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करना चाह रहा है, इसलिए पेलोसी दौरे के बाद उसने आक्रामक रुख अपनाया है.

वीडियो: चीन की तुलना में ताइवान की सेना कितनी ताकतवर है

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