चीन की शी जिनपिंग सरकार ने अपने अफसरों से हाथ बांधकर सरकारी पैसे खर्च करने को कहा है. उन्हें यात्रा, भोजन और दफ्तर की चीजों पर फिजूलखर्ची कम करने का निर्देश दिया है. समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, सरकार ने अधिकारियों को जारी नोटिस में कहा है कि वो रिसेप्शन, शराब और सिगरेट पर होने वाले सरकारी खर्चों पर कंट्रोल करें. अधिकारियों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि बचत करना ‘शानदार’ है और फिजूलखर्ची करना ‘शर्मनाक’ काम है.
चीन ने अपने अधिकारियों को शराब-सिगरेट 'कम' करने को क्यों कहा?
चीन की सरकार ने सरकारी खर्चों पर लगाम लगाने के लिए अपने अधिकारियों को यात्रा, भोजन और कार्यालय से जुड़ी सुविधाओं पर खर्च कम करने के निर्देश दिए हैं. अधिकारियों को जारी नोटिस में खासतौर पर रिसेप्शन, शराब और सिगरेट जैसी चीजों पर खर्च कम करने को कहा गया है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने अर्थव्यवस्था में जारी संकट के बीच सरकारी खर्च को लेकर अधिकारियों के लिए नए नियम जारी किए हैं. उन्हें मेहनत करने और अपने खर्च को नियंत्रित करने को कहा गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, बीते कुछ सालों में चीन को जमीन बिक्री से होने वाली आमदनी में भारी गिरावट का सामना करना पड़ा है. इस वजह से लोकल अथॉरिटीज पर भारी कर्ज का बोझ है.
इंडिया टुडे ने ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि पिछले साल चीन ने लोकल अथॉरिटीज के कर्ज संकट से निपटने के लिए बड़ा अभियान शुरू किया था. इसका मकसद डिफॉल्ट के खतरे को कम करना और आर्थिक विकास में सहयोग करना था. नए नियम भी इसी कड़ी का हिस्सा हैं.
बता दें कि चीन की सत्ता पर काबिज होने के एक साल के भीतर ही शी जिनपिंग ने सरकारी फिजूलखर्ची के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया था. इसके बाद इस दिशा में चीनी सरकार का यह दूसरा बड़ा कदम है.
इसमें अधिकारियों को कहा गया है कि उन्हें अपनी बैठकों की संख्या पर भी ध्यान देना चाहिए और अनावश्यक मीटिंग्स से बचना चाहिए. अगर कई मीटिंग्स को मिलाकर एक में मर्ज किया जा सके तो ऐसा किया जाना चाहिए. इससे अधिकारी अपने असल काम पर ज्यादा समय दे पाएंगे.
इसके अलावा मीटिंग को ज्यादा से ज्यादा सादगी भरा बनाने पर जोर दिया गया है. कहा गया कि मीटिंग्स में गुलदस्ते या होर्डिंग-बैकग्राउंड आदि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. वर्क मील में महंगे भोजन और शराब-सिगरेट दिए जाने की मनाही भी नए नियमों में शामिल है.
शी जिनपिंग और कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से उठाए गए इस कदम को देश की आर्थिक दशा सुधारने और सरकारी बजट पर बोझ कम करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.
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