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झीरम घाटी कांड की जांच छत्तीसगढ़ पुलिस करेगी, कांग्रेस के कई नेताओं की हुई थी हत्या

झीरम घाटी हत्याकांड में माओवादियों ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस की करीब पूरी लीडरशिप को मार डाला था.

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सुप्रीम कोर्ट से एनआईए की याचिका खारिज (फोटो-इंडिया टुडे)

झीरम घाटी नक्सली हमले की जांच छत्तीसगढ़ पुलिस करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 21 नवंबर को अपने एक फैसले में ये आदेश दिया. देश के सबसे बड़े नक्सली हमलों में से एक झीरम घाटी अटैक की जांच के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस ने 2020 में FIR दर्ज की थी. राष्ट्रीय जांच एजेंंसी (NIA) ने इस FIR को रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी. 3 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर NIA को झटका दिया है. यानी छत्तीसगढ़ पुलिस घटना की जांच करती रहेगी. सीएम भूपेश बघेल ने इस फैसले पर खुशी जताई है.

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क्या था झीरम घाटी हत्याकांड?
साल था 2013. छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने वाले थे. तब राज्य के मुख्यमंत्री थे भाजपा के रमन सिंह. कांग्रेस पार्टी राज्य में सत्ता वापसी के लिए जोर-शोर से लगी थी. इसी क्रम में पार्टी ने पूरे छत्तीसगढ़ में एक 'परिवर्तन रैली' निकालने का कार्यक्रम तय किया. 25 मई 2013 को कांग्रेस ने सुकमा में रैली की. रैली खत्म होने पर सभी नेता सुकमा से जगदलपुर के लिए निकले. करीब 20-25 गाड़ियों में 150 से अधिक कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता सवार थे.

शाम होने तक ये काफिला झीरम घाटी के पास से गुजर रहा था. वहां घात लगाए नक्सलियों ने पहले ही पेड़ काटकर रास्ता ब्लॉक कर दिया था. गाड़ियों के रुकते ही ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू हो गई. इस हमले का मुख्य टार्गेट ‘बस्तर टाइगर’ के नाम से चर्चित महेंद्र कर्मा थे. उनके साथ वरिष्ठ कांग्रेस नेता विद्याचरण शुक्ल, छत्तीसगढ़ कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल भी इस हमले में मारे गए. रिपोर्ट्स के मुताबिक महेंद्र कर्मा को मारने के बाद नक्सली उनकी लाश के पास नाचे भी थे. उनकी लाश को सैकड़ों बार चाकुओं से गोदा गया था. इस घटना में कुल 29 लोगों की जान गई थी.

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NIA बनाम छत्तीसगढ़ पुलिस क्यों?
घटना के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह पर सवाल उठे. उनकी सरकार पर आरोप लगे कि उसने सिक्योरिटी डिटेल लीक की और काफिला गुजरने से पहले उस इलाके की सुरक्षा चाक चौबंद नहीं रखी. हत्याकांड के बाद इसकी जांच सौंपी गई NIA को. लेकिन बाद में छत्तीसगढ़ पुलिस ने साल 2020 में एक FIR दर्ज की.

NIA ने राज्य पुलिस के इस कदम का विरोध किया और सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई. कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस को जांच करने से रोका जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने NIA की याचिका को खारिज कर दिया है. 

इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रतिक्रिया दी है. सीएम बघेल ने X पर लिखा,

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“झीरम कांड पर माननीय सुप्रीम कोर्ट का आज का फ़ैसला छत्तीसगढ़ के लिए न्याय का दरवाज़ा खोलने जैसा है. झीरम कांड सबसे बड़ा राजनीतिक हत्याकांड था. इसमें हमने दिग्गज कांग्रेस नेताओं सहित 32 लोगों को खोया था. कहने को NIA ने इसकी जांच की, एक आयोग ने भी जांच की, लेकिन इसके पीछे के वृहत राजनीतिक षडयंत्र की जांच किसी ने नहीं की. छत्तीसगढ़ पुलिस ने जांच शुरू की तो NIA ने इसे रोकने के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था. आज रास्ता साफ़ हो गया है.”

सीएम बघेल ने ये भी कहा कि छत्तीसगढ़ पुलिस की जांच से ये भी साफ हो जाएगा कि किसने किसके साथ मिलकर क्या षडयंत्र रचा था.

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