“उनका मतलब उन लोगों से रहा होगा जो उन्हें ग्रामीण गांव के अंदर उन्हें रास्ता दिखाने ले गए होंगे. 3 तारीख़ की घटना के बाद भी कुछ ग्रामीण घायल जवानों के साथ चले आए थे. वो भी समय-समय पर अपने गांवों की ओर लौट रहे थे. हो सकता है कि उनमें से कुछ ने उन्हें रास्ता दिखाया होगा. नक्सलियों को किसी को सौंपा गया, या रिहा किया गया, ऐसी कोई बात नहीं है.”कुंजाम सुक्का के कथित वीडियो के बारे में पी सुंदरराज ने कोई बयान नहीं दिया. लेकिन कहा कि वीडियो देखने के बाद ही कोई बयान दिया जा सकता है.
नक्सलियों से अगवा CRPF जवान को छुड़ाने के बदले में सुरक्षा बलों ने कुंजाम सुक्का को छोड़ा?
बस्तर के IG ने इस 'डील' पर क्या कहा?
3 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलवादियों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसा हुई. CRPF के कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मनहास नक्सलियों द्वारा अगवा कर लिए गए थे. कमांडो मनहास को नक्सलियों ने 8 अप्रैल को रिहा कर दिया. पत्रकारों और वार्ताकारों की एक टीम गहरे जंगल में नक्सलियों द्वारा एक जनअदालत में गयी. राकेश्वर सिंह मनहास को लेकर चली आयी. इसे रणनीतिक जीत की तरह देखा गया. लेकिन कहानी में एक ट्विस्ट सामने आ रहा है. ख़बरें बताती हैं कि जवान राकेश्वर सिंह मनहास की रिहाई पाने के लिए सुरक्षा बलों की ओर से कुंजाम सुक्का नाम के व्यक्ति को रिहा किया गया था. स्थानीय पत्रकारों के मुताबिक़ सुक्का CRPF की हिरासत में था. कई लोग यहां तक भी कहते हैं कि सुक्का ख़ुद एक माओवादी है, जो बारूदी सुरंग लगाने का माहिर माना जाता है. कहा जा रहा है कि 3 अप्रैल की घटना के बाद सुक्का से सुरक्षा बलों ने सूचना वास्ते पूछताछ भी की थी. कुछ वीडियो भी पत्रकारों के ग्रुप में घूम रहे हैं, जिसमें सुरक्षा अधिकारी एक व्यक्ति की पिटाई करते, पूछताछ करते और उसके साथ घरों की तलाशी लेते दिखाई दे रहे हैं. कहा जा रहा है कि वीडियो में पिटाई खाता शख़्स सुक्का ही है. लल्लनटॉप अभी तक इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है. बात बस ख़बरों की ही नहीं है. कमांडो मनहास की रिहाई वास्ते मध्यस्थता करने गए लोगों में से एक तेलम बोरैया का एक पत्रकार से बातचीत का ऑडियो भी सामने आया है. इस बातचीत में तेलम बोरैया ने बताया है कि सुक्का को तेर्रम CRPF कैम्प में वार्ताकारों और पत्रकारों को सौंपा गया था. बोरैया के कथित ऑडियो के मुताबिक़, तेलमगुड़ा के रहने वाले सुक्का के साथ सुरक्षा बलों ने नक्सलवादी बताकर मारपीट की थी. और बाद में नक्सलवादियों और ग्रामीण आदिवासियों की उसी जनअदालत में छोड़ा गया, जहां से कमांडो मनहास को रिहा कराकर पत्रकार वापिस लेकर आए थे. ऑडियो के मुताबिक़, सुक्का ने ही सभी पत्रकारों और वार्ताकारों को जंगल के अंदर तक का रास्ता दिखाया था. इस बात पर अधिकारियों की पक्ष सुनने के लिए हमने बस्तर आईजी पी सुंदरराज से बात की. बातचीत कुछ यूं थी : सिद्धांत मोहन : ख़बरें हैं कि राकेश्वर सिंह मनहास की रिहाई के बदले में कुंजाम सुक्का नाम के व्यक्ति को रिहा किया गया. आईजी पी सुंदरराज : ये जानकारी पूरी तरह से ग़लत है. अब तक इस मामले में किसी भी माओवादी की गिरफ़्तारी नहीं हुई है. और किसी माओवादी की गिरफ़्तारी नहीं हुई है, तो किसी माओवादी को रिहा करने की बात ही नहीं उठती है. सिद्धांत मोहन : लेकिन मेरा सवाल तो ये था कि क्या किसी कुंजाम सुक्का नाम के व्यक्ति को रिहा किया गया? मैंने अपने सवाल में कहीं ‘माओवादी’ शब्द का इस्तेमाल ही नहीं किया. आईजी पी सुंदरराज : (सवाल दो बार सुनने के बाद) इस प्रकरण में किसी को गिरफ़्तार नहीं किया गया था तो रिहा करने का सवाल नहीं उठता है. तेलम बोरैया के ऑडियो के बारे में सवाल पूछने पर आईजी पी सुंदरराज ने कहा,