5 अक्टूबर, 2022 को अरुणाचल प्रदेश(Arunachal Pradesh) में तवांग के पास हेलीकॉप्टर क्रैश (Helicopter crash) में ले. कर्नल सौरभ यादव शहीद हो गए. इस हादसे में सेना के एक और मेजर घायल हो गए. मार्च 2022 में जम्मू-कश्मीर में LoC के पास सेना का एक और हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. तब भी पायलट के शहीद होने की ख़बर आई थी. जम्मू कश्मीर के ही पटनीटॉप में सितम्बर, 2021 में चॉपर के क्रैश होने से 2 आर्मी ऑफिसर शहीद हो गए थी. 2019 में सिक्किम में हुए एक हादसे में भारतीय सेना(Indian Army) और भूटान रॉयल आर्मी के 1-1 सैनिक की मौत हो गई थी.
लगातार होते हादसों के बाद भी सरकार चीता हेलीकॉप्टर को रिटायर क्यों नहीं कर पा रही?
5 अक्टूबर को हेलीकॉप्टर क्रैश में ले. कर्नल सौरभ यादव शहीद हो गए.

इन बदलते हुए आंकड़ों, तारीखों और जगहों में एक चीज़ है जो नहीं बदली, वो है 60 साल पुराना 'चीता हेलीकाप्टर'. वही चीता हेलीकाप्टर जिसके बारे में 2007 में उस वक़्त के डिफेन्स मिनिस्टर ए के एंटनी ने यहां तक कह दिया था कि ‘ये पुरानी मशीनें अब सेना की जरूरतों को पूरा नहीं करती हैं, अब इन्हें बदल देना चाहिए.’
Cheetah Helicopter
1971 के युद्ध से ढाई साल पहले, 17 मार्च 1969 को एरोस्पेटियैल S.A. 315-B लामा ने अपनी पहली उड़ान भरी. 21 जून 1972 को इसने 12,442 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरकर विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया. इसे मूलतः फ़्रांसीसी कंपनी एरोस्पेटियैल ने बनाया. 1970 में भारत सरकार ने 40 हेलीकाप्टर की डील की और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने फ़्रेंच कंपनी के साथ लाइसेंस सौदे पर साइन किए. इसके बाद HAL, फ्रांस की तकनीक का इस्तेमाल करके खुद ये हेलीकाप्टर बना सकता था. HAL द्वारा बनाए गए हेलीकाप्टर को नाम दिया गया चीता. दिसम्बर 1973 से इनकी डिलीवरी होना शुरू हुआ और 1976-77 में पहला हेलीकाप्टर सेना को मिल गया. अभी तक HAL 275 से ज्यादा चीता हेलीकाप्टर भारतीय सेना और अन्य देशों में दे चुका है.
क्या है चीता की खासियत?
सिंगल इंजन वाला ये हेलीकॉप्टर 5 लोगों को लेकर उड़ सकता है. चीता की खासियत है इसका हल्का वज़न. सियाचीन जैसे 20,000 फीट ऊंचे और मुश्किल इलाकों में भी सामान पहुंचाना हो या मुश्किल में फंसे आर्मी के जवानों और लोगों को सुरक्षित निकालना हो, चीता ने सब करके दिखाया है. यही नहीं, बताया जाता है कि करगिल की लड़ाई में चीता ने बेस पर हमारे जवानों को दुश्मन की पोज़िशन की जानकारी देने में मदद की थी और द्रास और बटालिक सेक्टर में कई घायल जवानों को रेस्क्यू करने में भी मदद की थी.
क्यों मुश्किल में है चीता?
हेलीकॉप्टर क्रैश की आती खबरों में सबसे बड़ा कारण इसकी बढ़ती उम्र. चीता हेलीकाप्टर इसी साल अपने 60 वर्ष पूरे कर चूका है. चीता, चेतक और चीतल तीनो एक ही टेक्नॉलजी से डेवेलप किये गए हैं. फिलहाल इनकी कुल संख्या 190 के आसपास है. जिसमें से 5 की सेवा 50 साल से ऊपर है और 130 से 190 हेलीकॉप्टर करीब 30 से 50 साल की सेवा दे चुके हैं.चीता और चेतक पुराने हो चुके एवियोनिक्स के साथ सिंगल-इंजन हेलीकॉप्टर हैं. इनमें मूविंग मैप डिस्प्ले, ग्राउंड प्रॉक्सिमिटी वार्निंग सिस्टम (ज़मीन से टकराने की दूरी नापने वाली मशीन), और वेदर रडार जैसी महत्वपूर्ण जरूरतों का अभाव है. इनमें ऑटोपायलट प्रणाली भी नहीं है. पिछले कुछ सालों में 30 चीता क्रैश हो चुके हैं. इन हादसों में 40 के करीब सेना के अफसर शहीद हुए और कई घायल भी हुए हैं.
और क्या विकल्प हैं?
इस वक़्त सरकार के पास चीता के कम से कम दो विकल्प मौजूद हैं. पहला है HAL का बनाया LUH (लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर). और दूसरा है सालों से रूस के साथ अटका हुआ प्रोजेक्ट कामोव-226T. सरकार ने 2015 में 200 कामोव हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए रूस के साथ समझौता किया था. इनमें से पहले 60 को उड़ान भरकर लाना था, अन्य 140 को HAL और रूसी हेलीकॉप्टरों के बीच एक संयुक्त प्रयास से बनाया जाना था. लेकिन अभी भी ये समझौता पूरा नहीं हो पाया है. आर्मी पहले से ही 498 LUH की मांग कर चुकी है.
स्वदेशी हेलीकॉप्टर की बात करें तो अंग्रेजी अखबार द हिन्दू में छपी 31 जुलाई, 2022 की खबर के मुताबिक HAL को 12 LUH बनाने के लिए तीनो सेनाओं से लेटर ऑफ़ इंटेंट चुका है. HAL ने खुद के फंड्स से इसे डिजाइन और डेवेलप किया है. इनके ट्रायल्स पहले से ही शुरू हो चुके हैं. तो सवाल ये उठता है कि जब हमारे पास खुद के बनाए हुए LUH हैं जो आसानी से चीता की जगह ले सकते हैं तो इसमें इतना वक़्त क्यों लग रहा है?
(आपके लिए ये स्टोरी लिखी है हमारे साथी दीपक कौशिक ने)
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