भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का चंद्रयान-3 चंद्रमा पर उतर गया है. सोमवार को शाम 6 बजे के कुछ ही देर बाद 'विक्रम' लैंडर ने चांद पर कदम रखा. यानी ISRO ने चंद्रयान-3 मिशन के सबसे अहम पड़ाव को पार कर लिया है. इसके साथ ही भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के लिए 23 अगस्त, 2023 एक तारीखी दिन बन गया है. विक्रम लैंडर के चांद पर उतरने के बाद ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने इस कामयाबी के लिए संगठन के वैज्ञानिकों और देश को बधाई दी. वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने इसे नए युग की शुरुआत कहा.
Chandrayaan-3 चांद पर उतरा! ISRO पर बधाइयों की बारिश, देश-दुनिया कर रही सलाम
शाम 6 बजे के बाद चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चांद की सतह पर उतरा.
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पिछली बार चंद्रयान-2 अपनी गति कंट्रोल न कर पाने, सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी और इंजन में ग्लिच की वजह से चांद की सतह पर गिर गया था. इसके चलते यान का संपर्क ISRO से टूट गया था और ऐन वक्त पर ISRO का मिशन कामयाब होने से चूक गया था. लेकिन इस बार ISRO ने ऐसी किसी चूक की संभावना ही नहीं छोड़ी.
ISRO ने चंद्रयान-3 में कई तरह के सेंसर्स और कैमरे लगाए थे. इनमें से एक है LHDAC कैमरा. ये कैमरा खास तौर पर इसी मिशन के लिए बनाया गया है ताकि विक्रम लैंडर को सुरक्षित चांद की सतह पर उतारा जाए.
इसके अलावा चंद्रयान-3 में कुछ और पेलोड्स लगाए गए हैं. ये पेलोड्स हैं लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (LPDC), लेजर ऑल्टीमीटर (LASA), लेजर डॉप्लर वेलोसिटी मीटर (LDV) और लैंडर हॉरीजोंटल वेलोसिटी कैमरा (LHVC). इन सभी की मदद से लैंडर की सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित की गई.
लैंडर में किए गए हैं बदलावISRO ने विक्रम लैंडर की सफल लैंडिंग के लिए इस बार दो बड़े बदलाव किए. पहला ये कि इसमें सेफ्टी मोड सिस्टम लगाया गया. ये इसे किसी भी तरह के हादसे से बचाता. इसके लिए इसमें दो कंप्यूटर भी फिट किए गए. ये कंप्यूटर हर तरह के खतरे की जानकारी देंगे. कंप्यूटर को ये जानकारी विक्रम पर लगे कैमरे और सेंसर्स देंगे.
इससे पहले 21 अगस्त को ISRO के एक सीनियर साइंटिस्ट ने कहा था कि लैंडिंग को टाला भी जा सकता है. उन्होंने कहा था कि टचडाउन करने (चांद की सतह पर उतरने) से 2 घंटे पहले अगर ISRO को लगता है कि लैंडर की पोजीशन ठीक नहीं है तो लैंडिंग 27 अगस्त तक के लिए टाल दी जाएगी.
नीलेश एम देसाई, ISRO के अहमदाबाद स्थित सेंटर ऑफर स्पेस एप्लीकेशंस के डायरेक्टर हैं. न्यूज़ एजेंसी ANI से बात करते हुए उन्होंने कहा था,
"अभी तक कोई दिक्कत नहीं है. हम 23 अगस्त को ही लैंडर को चांद पर लैंड कराने की कोशिश करेंगे. लेकिन अगर हमें ऐसा लगता है कि चांद पर उतरने के लिए लैंडर की पोजीशन ठीक नहीं है तो हम इसकी लैंडिंग की तारीख बढ़ाकर 27 की रखेंगे.”
हालांकि इसकी नौबत नहीं आई और लैंडर 23 अगस्त को कामयाबी के साथ चांद पर उतर गया.
चंद्रयान-2 से संपर्क हुआचंद्रयान-3 के लैंडर ने चंद्रयान-2 से संपर्क स्थापित कर लिया है. इसके लिए ISRO ने इस बार ऑर्बिटर नहीं भेजा था. इसकी जगह प्रॉपल्शन मॉड्यूल भेजा गया है. इसका मकसद चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल को चांद के नजदीक पहुंचाना था. इसके अलावा प्रॉपल्शन मॉड्यूल की मदद से लैंडर और बेंगलुरु स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (IDSN) के बीच संपर्क स्थापित करना था.
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