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Chandrayaan-1 और Chandrayaan-2 मिशन का क्या हुआ था? इनसे ISRO को क्या मिला?

Chandrayaan-2 मिशन चूक गया था, लेकिन इसके बाद भी इसका बड़ा हासिल है

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चंद्रयान 1 और चंद्रयान 2 (फोटो सोर्स: इंडिया टूडे)

Chandrayaan-3 के चांद पर लैंडिंग का इंतजार तो आप और हम कर ही रहे हैं. हाल ही में Chandrayaan-2 के ऑर्बिटर का संपर्क Chandrayaan-3 से होने की खबर आई थी. लेकिन आपने सोचा है कि Chandrayaan-1 और Chandrayaan-2 का क्या हुआ?

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हाल ही में रूस के लूना-25 क्रैश ने भारत के Chandrayaan-2 की याद दिला दी. जितना दुख Chandrayaan-2 के क्रैश होने की खबर से हुआ था उतनी ही खुशी Chandrayaan-3 के अब तक प्लान के मुताबिक चलने पर हो रही है. बस लैंडिंग बाकी है. लेकिन बात Chandrayaan-1 की करते हैं.

Chandrayaan-1 का क्या हुआ?

22 अक्टूबर 2008 को लॉन्च हुआ Chandrayaan-1 भारत और ISRO के कई सपने अपने कंधों पर लिए चांद की ओर निकला था. ये एक ऑर्बिटल मिशन था, यानी इसका काम सिर्फ चांद के चक्कर काटना था. इस मिशन को चांद पर भेजे जाने वाले सबसे सफल मिशन्स में गिना जाता है क्योंकि चांद पर पहली बार पानी भी इसी ने खोजा था. इसमें लगीं 11 मशीनों को भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, स्वीडन और बल्गारिया में विकसित किया गया था.

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Chandrayaan-1 ने चांद की सतह पर वॉटर मॉलीक्यूल्स यानी पानी को खोजा था. इस खोज के बाद से चांद पर भविष्य में जीवन की संभावनाओं को और बढ़ा दिया है. यही वजह है, भारत ने चांद की सतह पर खोज करने वाले रोवर मिशन Chandrayaan-2 की तैयारी शुरू कर दी थी. चांद की कई हाई रेजोल्यूशन तस्वीरें इस मिशन के जरिए इसरो को मिली थीं.

Chandrayaan-1 लॉन्च के लगभग 11 साल बाद भारत ने Chandrayaan-2 लॉन्च किया. 

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Chandrayaan-2 का क्या हुआ?

Chandrayaan-3 की तरह Chandrayaan-2 भी रोवर मिशन था यानी एक रोबोटनुमा गाड़ी को चांद की सतह पर जाकर खोजबीन करने के लिए डिजाइन किया गया था. अगस्त 2019 में धरती से निकला ये मिशन 6 सितंबर 2019 को चांद की सतह पर लैंड होने वाला था. लेकिन इसका विक्रम लैंडर लैंडिंग के वक्त क्रैश हो गया. इस मिशन में रोवर के अलावा एक ऑर्बिटर भी लगा था, जिसने हाल ही में Chandrayaan-3 से संपर्क स्थापित किया है.

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इस मिशन के जरिए इसरो को कई चीजों में सफलता मिली थी. Chandrayaan-2 ने चांद पर सोडियम के होने का पता लगाया था. Chandrayaan-2 में लगे एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर के जरिए चांद पर दो तरह के सोडियम का पता चला. एक जो सतह पर हैं और दूसरे जो वहां मौजूद मिनिरल्स के साथ मिले हुए हैं. इस खोज ने चांद की सतह के बारे में और जानने की राह को आसान कर दिया था.

फिलहाल चंद्रयान-3 लैंडिंग के बेहद करीब है. ना सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया के कई देश इस लैंडिंग पर नजर बनाए हुए हैं. Chandrayaan-3 का लैंडर चांद के साउथ पोल पर लैंड करने वाला है जहां आजतक ना कोई रोवर पहुंचा है और ना ही कोई इंसान. रूस के लूना-25 के क्रैश होने के बाद सारा दारोमदार फिलहाल तो Chandrayaan-3 पर ही नजर आ रहा है.

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वीडियो: चंद्रयान 3 के लैंडर पर 'सोने की चादर' लगाने के पीछे का साइंस क्या है?

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