कनाडा की इमिग्रेशन नीतियों में हुए हालिया बदलाव की वजह से करीब 70 हज़ार विदेशी स्टूडेंट्स पर डिपोर्ट किए जाने का खतरा मंडरा रहा है. कनाडा के कई शहरों में विदेशी स्टूडेंट्स और स्किल्ड कामगार इमिग्रेशन नीति में बदलाव की मांग को लेकर रैलियां निकाल रहे हैं. इमिग्रेशन की नीतियां ही तय करेंगी कि वो कनाडा में रह सकेंगे या उन्हें अपने देश वापस लौटना होगा. कनाडा में बड़ी संख्या भारतीय स्टूडेंट्स की है. ऐसे में उन पर भी डिपोर्ट किए जाने का खतरा मंडरा रहा है. कनाडा के चार प्रांतों, ओंटारियो, मैनीटोबा, प्रिंस एडवर्ड आइलैंड और ब्रिटिश कोलम्बिया में भारतीय स्टूडेंट्स का प्रदर्शन जारी है. सबसे पहले प्रिंस एडवर्ड आईलैंड में ये प्रदर्शन मई 2024 में शुरू हुए थे.
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Canada Indian Protest: कनाडा के प्रधानमंत्री Justin Trudeau की सरकार के एक फैसले के बाद इस साल यानी 2024 के अंत तक हजारों Indian Students पर Deport किए जाने का खतरा मंडरा रहा है. भारतीय छात्र इसकी वजह से प्रोटेस्ट भी कर रहे हैं.

ये बात किसी से छिपी नहीं है कि कनाडा में बाहर से आने वाले लोगों में सबसे बड़ी संख्या स्टूडेंट्स की होती है. देश के आसान इमिग्रेशन और नागरिकता कानूनों की वजह से कनाडा सबके लिए एक सेफ और आसान डेस्टिनेशन रहा है. इसीलिए वजह से, लाखों भारतीय छात्र जो नॉर्थ अमेरिका या यूरोप में बसना चाहते हैं, वो एक ट्रांजिट के रूप कनाडा को चुनते हैं. ऐसा नहीं था कि कनाडा की सरकार इस बात से अनजान थी, पर ये स्टूडेंट्स कनाडा की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देते हैं. लिहाजा, सरकार ने अब तक चुप्पी साध रखी थी. कनाडा की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा इन्हीं स्टूडेंट्स की बदौलत चलता है.
भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट्स कहती हैं कि कनाडा में लगभग 18 लाख भारतीय मूल के लोग रहते हैं. Statista के अनुसार साल 2000 में जहां कनाडा में भारतीयों की संख्या 6 लाख, 70 हज़ार थी वहीं 2020 तक ये संख्या 10 लाख के पार हो चुकी थी.
बताया जा रहा है कि विदेशी स्टूडेंट्स की बढ़ती संख्या की वजह से कनाडा के हाउसिंग, स्वास्थ्य और बाकी दूसरी सेवाओं पर जो लोड बढ़ रहा है, उसे देखते हुए सरकार ने फैसला लिया है. तमाम चीज़ों पर लोड बढ़ने की वजह से कनाडा के लोग प्रदर्शन कर रहे थे. इसे देखते हुए प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने तुरंत फैसले लेने शुरू किए. पहले उन्होंने 2 सालों का एक कैप लगाया. इसकी वजह से 2024 में मात्र 3 लाख 60 हज़ार स्टडी परमिट जारी किए गए. ये साल 2023 की तुलना में 35 प्रतिशत कम है.
26 अगस्त को पीएम ट्रूडो ने एलान किया कि कम सैलरी वाली नौकरियों में विदेशी कामगारों की संख्या घटाई जाएगी. कनाडा के टेम्प्रेरी फॉरेन वर्कर्स प्रोग्राम लो वेज स्ट्रीम के तहत अब कंपनियां अपने कुल कर्मचारियों का मात्र 10 प्रतिशत ही विदेशी वर्कर्स को रख सकती हैं. साल 2023 में 26,495 भारतीय इस स्कीम के तहत कनाडा में काम करने गए थे.
परमानेंट रेजिडेंसीइन प्रोटेस्ट्स की मुख्य वजहों में से एक वजह प्रोविनशियल नॉमिनी प्रोग्राम (PNP Slots) स्लॉट्स को बढ़वाना है. PNP कनाडा के प्रांतों को यह अधिकार देता है कि वो लोगों को उनके स्किल, अनुभव और अर्थव्यवस्था में योगदान देने में उनकी सम्भावना को देखते हुए परमानेंट रेजिडेंसी देती है. स्लॉट्स की संख्या सीमित है और प्रतिस्पर्धा भी बहुत है.
पूरे देश में ट्रूडो सरकार की नीतियों की वजह से विदेशी, खासकर भारतीय स्टूडेंट्स प्रोटेस्ट कर रहे हैं. कनाडा की सरकार पर दबाव भी बढ़ रहा है. PNP स्लॉट्स में बढ़ोतरी, तेज़ प्रोसेसिंग, और भी पारदर्शिता भरी इमिग्रेशन पॉलिसी, प्रदर्शन करने वाले स्टूडेंट्स की मुख्य मांगें हैं.
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