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HC के एक जज ने कहा दूसरा राजनीतिक पार्टी के लिए काम कर रहा, मामला SC पहुंचा तो फिर क्या हुआ?

Calcutta High Court के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने जस्टिस सौमेन सेन पर राजनीतिक दल के लिए काम करने का आरोप लगाया है. आज इस मामले पर Supreme Court में सुनवाई हुई तो क्या हुआ?

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जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय और जस्टिस सौमेन सेन (फोटो- calcuttahighcourt.gov.in)

कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) के दो जजों के बीच विवाद हो गया. एक जज ने दूसरे पर 'राजनीतिक दल के लिए काम करने' का आरोप लगाया है. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप कर दिया है. घटना पर विचार करने के लिए 27 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने स्पेशल बैठक की. इसमें CJI चंद्रचूड़ के अलावा SC के चार सबसे वरिष्ठ जज भी शामिल हुए. जस्टिस संजीव खन्ना, बीआर गवई, सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा उससे पहले पूरा विवाद समझ लेते हैं. 

मामला पश्चिम बंगाल के मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में MBBS उम्मीदवारों की एंट्री में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है. दरअसल, 24 जनवरी को कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल-न्यायाधीश पीठ ने आदेश दिए कि मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में कथित अनियमितताओं की CBI जांच कराई जाएगी.

इसके बाद राज्य सरकार यानी TMC ने जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस उदय कुमार की बेंच का रुख किया. इस बेंच ने CBI जांच वाले आदेश पर रोक लगा दी. कहा गया कि केस में राज्य को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया था. जस्टिस सेन ने कहा कि रिट याचिका में CBI जांच की मांग ही नहीं की गई थी, और इस तरह से जांच को शिफ्ट नहीं किया जा सकता.

जस्टिस गंगोपाध्याय ने आपत्ति जताई

इसके बाद 25 जनवरी को एक लिखित आदेश में जस्टिस गंगोपाध्याय ने अपने साथी जज जस्टिस सौमेन सेन पर गंभीर आरोप लगाए. जस्टिस गंगोपाध्याय ने लिखा,

जस्टिस सेन साफ तौर पर इस राज्य में कुछ राजनीतिक दलों के लिए काम कर रहे हैं और इसलिए राज्य से जुड़े मामलों में पारित आदेशों को फिर से देखने की जरूरत है. जस्टिस सेन की बेंच ने FIR को रद्द करने का आदेश दिया जो कि वैध नहीं है. मुझे नहीं पता कि क्या CBI जांच के आदेश से कुछ लोगों पर आसमान टूट पड़ा था. CBI को मामले की जांच कर कार्रवाई शुरू करनी चाहिए. मैं भारत के माननीय चीफ जस्टिस से इस मामले पर गौर करने का अनुरोध करना चाहता हूं.

आगे लिखा,

मुझे कुछ दिन पहले जस्टिस अमृता सिन्हा ने बताया था कि जस्टिस सेन ने उन्हें अपने कमरे में बुलाया और एक राजनीतिक नेता की तरह उनसे तीन चीजें कही. पहली- अभिषेक बनर्जी का राजनीतिक भविष्य है, उन्हें परेशान नहीं किया जाना चाहिए. दूसरी- जस्टिस सिन्हा की अदालत में लाइव-स्ट्रीमिंग बंद कर दी जाएगी. तीसरी- जस्टिस सिन्हा के पास दो रिट याचिकाएं हैं जिनमें अभिषेक बनर्जी का नाम शामिल है, उन्हें खारिज कर दिया जाए.

जस्टिस गंगोपाध्याय ने आरोप लगाया कि जस्टिस सेन ने जो किया है वो इस राज्य में सत्ताधारी राजनीतिक दल को बचाने और अपने व्यक्तिगत हित को आगे बढ़ाने के लिए किया गया है.

जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो क्या हुआ? 

27 जनवरी को इस मामले की स्पेशल सुनवाई करते हुए CJI चंद्रचूण ने कहा कि वो पश्चिम बंगाल राज्य और मूल याचिकाकर्ता को नोटिस जारी कर रहे हैं. बताया कि सोमवार 29 जनवरी को फिर से कार्यवाही होगी और तब तक मामले से जुड़े हर आदेश के कार्यान्वयन पर रोक लगी रहेगी.