वेतन मिलना क्यों बंद हो गया? फाइनैंशल एक्सप्रेस के मुताबिक बीएसएनएल इस वक्त पैसे की भारी तंगी से जूझ रही है. कंपनी के पास इतने पैसे नहीं आ रहे हैं कि वो कर्मचारियों की तनख्वाह दे सके. कंपनी की कुल आमदनी का 55 फीसदी हिस्सा कर्मचारियों के वेतन पर खर्च होता है. हर साल इस बजट में 8 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो जाती है. मतलब ये कि वेतन पर कंपनी का खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है. और आमदनी लगातार गिर रही है.
कंपनी का घाटा कितना बढ़ गया है? बीएसएनएल का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है. रिलायंस जियो आने के बाद शुरू हुए डेटा और टैरिफ वार में कंपनी पिछड़ती चली जा रही है. साल 2018 में कंपनी का लॉस करीब 8,000 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है. इससे एक साल पहले यानी 2017 में ये घाटा 4,786 करोड़ रुपए था. जाहिर है कंपनी लगातार घाटे में जा रही है. ऐसे में कर्मचारियों पर आर्थिक संकट के बादल तो छाने ही थे. इसके अलावा एक मुसीबत और है, जिससे कर्मचारियों के सामने ऐसी मुसीबत आई है, वो है सरकार का बीएसएनएल का साथ न देना. बीएसएनएल बैंकों से लोन लेना चाहती है. मगर संचार मंत्रालय इसकी इजाजत नहीं दे रहा है.

बीएसएनएल के कर्मचारियों के बीच ऐसी भी खबरें हैं कि सरकार करीब 35,000 कर्मचारियों की छंटनी कर सकती है. फाइल फोटो. इंडिया टुडे.
सरकार ने लोन के प्रस्ताव को मंजूरी क्यों नहीं दी? बीएसएनएल बोर्ड ने कुछ दिन पहले बैंकों से लोन लेने का प्रस्ताव पास किया था. इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए संचार मंत्रालय भेजा गया है. बीएसएनएल अपने रोजमर्रा के खर्चे चलाने के लिए लोन लेना चाह रही है. मगर सरकार चाहती है कि बीएसएनएल अपने स्रोतों से पैसे इकट्ठा करे. और उससे अपने खर्चे चलाए. सरकार ने उसके हाथ-पैर बांध रखे हैं.
बीएसएनएल कर्मचारी यूनियन के स्वपन चक्रवर्ती के मुताबिक बीएसएनएल पर इस वक्त करीब 13,900 करोड़ रुपए का कर्ज है. अगर सरकार इस वजह से लोन लेने की इजाजत नहीं दे रही है, तो ये साजिश है. क्योंकि वोडाफोन-आइडिया पर 1.2 लाख करोड़, एयरटेल पर 1.13 लाख करोड़ और रिलायंस जियो पर करीब 2 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है. ऐसे में सिर्फ बीएसएनएल को लोन लेने से क्यों रोका जा रहा है?
क्या ये संकट सरकार ने खड़ा किया है? रिलायंस जियो, वोडाफोन और एयरटेल जैसी कंपनियां जब 4जी सर्विस के जरिए पैसे कूट रही हैं, तब बीएसएनएल पूरे देश में 4जी का नेटवर्क तक नहीं खड़ा कर पाई है. इसके लिए अब तक सरकार ने इजाजत तक नहीं दी है. प्रभात खबर के मुताबिक पैसे की कमी के कारण बीएसएनएल के 4G के उपकरण कोई डेढ़ महीने से पोर्ट पर ही फंसे हैं. इससे झारखंड सहित पूर्वी क्षेत्र के कई राज्यों में 4G सर्विस शुरू नहीं हो पा रही है.
और क्या आरोप लगा रहे कर्मचारी? बीएसएनएल के इन हालात को सुधारने के लिए देश भर के इसके कर्मचारियों ने 19 फरवरी, 2019 को हड़ताल की थी. तब आरोप लगे थे कि सरकार बीएसएनएल की हालत सुधारने के लिए गंभीर प्रयास नहीं कर रही है. सरकार निजी कंपनियों को प्रमोट कर रही है. कर्मचारियों के मुताबिक बीएसएनएल को कई सर्कल में 4G सेवाओं के लिए अब तक स्पेक्ट्रम का आवंटन तक नहीं किया गया है. कंपनी के पास अपनी काफी जमीन है. इसके मैनेजमेंट से भी काफी खर्चे निकल सकते हैं. पर सरकार इन मसलों पर ध्यान नहीं दे रही है.

रिलायंस जियो के आने के बाद टेलीकॉम सेक्टर में काम कर रहे करीब 30,000 कर्मचारियों की नौकरियां जा चुकी हैं.
वेतन के लिए कानूनी नोटिस की तैयारी कर्मचारियों के मुताबिक सरकार उनका वेतन नहीं रोक सकती है. अगर इसका जल्दी भुगतान न किया गया तो वे केंद्र सरकार और BSNL को कानूनी नोटिस भेजेंगे. सीटू के राष्ट्रीय महासचिव तपन सेन ने इस बाबत चिट्ठी लिखी है. इसमें नियमों के हवाले से कहा गया है कि वेतन किसी भी सूरत में नहीं रोका जा सकता. समय पर वेतन न मिलने से कर्मचारियों के बुरे हाल हैं. उनके घरों का बजट बिगड़ गया है. उनको हर महीने बिजली बिल, फोन बिल, राशन समेत बच्चों की स्कूल और कॉलेज फीस देनी होती है. रोजमर्रा के खर्चे भी हैं. ये BSNL को बंद करने की साजिश है.
क्या BSNL बंद कर दिया जाएगा? कर्मचारियों के मुताबिक इस वक्त सरकार के पास तीन प्रस्ताव हैं. पहला इसके विनिवेश का, दूसरा बंद करने और तीसरा आर्थिक सहयोग के जरिए चलाने का. कुछ दिन पहले कंपनी की ऐसी हालत पर BSNL के एमडी अनुपम श्रीवास्तव ने संचार सचिव अरुणा सुंदरराजन के सामने एक प्रजेंटेंशन दिया था. इसमें भी कोई निर्णय नहीं लिया गया था.
क्या ये रिलायंस जियो का असर है? एक रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस जियो के आने के बाद टेलीकॉम सेक्टर में काम कर रहे करीब 30,000 कर्मचारियों की नौकरियां जा चुकी हैं. ये कर्मचारी यूनिनॉर, एयरसेल, टाटा टेलीसर्विसेज और रिलायंस कम्युनिकेशंस जैसी कंपनियों के थे. जियो की वजह से इन कंपनियों का कारोबार बंद हो गया. कंपनियों को कई जगह अपनी दुकानें और शोरूम बंद करने पड़े.
क्या कर्मचारियों की छंटनी भी हो सकती है? BSNL के कर्मचारियों के बीच ऐसी भी खबरें हैं कि सरकार करीब 35,000 कर्मचारियों की छंटनी कर सकती है. इसके लिए VRS की प्लानिंग की जा रही है. कंपनी कई कर्मचारियों के ट्रैवेल अलाउंस और मेडिकल अलाउंस में भी कटौती कर चुकी है. कंपनी को बचाने के लिए कर्मचारियों के रिटायरमेंट की उम्र 60 से 58 साल करने की भी चर्चा खूब है. हालांकि ये सब जुबानी चर्चा ही है, सरकार की तरफ से इस पर अभी तक कुछ नहीं कहा गया है.
क्या MTNL भी ऐसे ही संकट से जूझ रही है? बीएसएनएल ही नहीं MTNL भी बुरे दौर से गुजर रही है. इस कंपनी में नवंबर, 2018 में कर्मचारियों का वेतन लटक गया था. इसकी वजहें भी BSNL जैसी ही गिनाई गई थीं. कहा गया था कि कंपनी में फंड की कमी है. इसके बाद MTNL के कर्मचारी प्रदर्शन पर उतर आए थे. मुंबई और दिल्ली में MTNL के 24 हजार से ज्यादा कर्मचारी हैं. इनमें से 10,500 कर्मचारी दिल्ली में हैं. आरोप हैं कि 2010 में दूरसंचार विभाग ने 3G और ब्रॉडबैंड वायरलेस एक्सेस BWA स्पेक्ट्रम खरीदने में MTNL का रिजर्व फंड इस्तेमाल किया. बैंक से लोन भी लिया. इससे कंपनी में दिक्कत शुरू हो गई. 1998 में एमटीएनएल को दिल्ली और मुंबई में टेलकॉम सेवाएं देने के लिए शुरू किया गया था.
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