बॉम्बे हाई कोर्ट ने पीएम केयर्स फंड (PM CARES FUND) से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम और फोटो हटाने की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एम एस कार्निक की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इसमें एक जरूरी मुद्दे को उठाया गया है. बेंच की तरफ से यह टिप्पणी तब की गई, जब केंद्र सरकार की पैरवी कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने इस पूरे मामले पर सुनवाई के लिए दो सप्ताह का समय मांगा.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सुनवाई कर रही बेंच ने कहा कि यह एक जरूरी मुद्दा है और सरकार की तरफ से जवाब दिया जाना भी जरूरी है. याचिका में पीएम केयर्स फंड की वेबसाइट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो और नाम को हटाने के साथ-साथ राष्ट्रीय चिह्न और राष्ट्रीय ध्वज को भी हटाने की मांग की गई है. इस याचिका को कांग्रेस पार्टी के सदस्य विक्रांत चह्वाण ने दाखिल किया है.
'कानून का उल्लंघन'
अपनी याचिका में विक्रांत चह्वाण ने कहा है कि इस तरह से राष्ट्रीय प्रतीकों को दिखाया जाना भारतीय संविधान और राष्ट्रीय प्रतीकों व नामों का दुरुपयोग करने के लिए बने कानून का उल्लंघन है. याचिका में कहा गया कि 27 मार्च को बनाए गए इस ट्रस्ट में प्रधानमंत्री को बतौर चेयरमैन की तरह जोड़ा गया है. वहीं दूसरे केंद्रीय मंत्री भी इसमें हिस्सेदार हैं.
याचिका में कहा गया कि ये सभी लोग अपनी व्यक्तिगत क्षमता से ट्रस्ट में जुड़े हैं. ऐसे में इस ट्रस्ट का कोई सरकारी महत्व नहीं है. इसलिए इसके साथ ना तो देश के प्रधानमंत्री का नाम और फोटो प्रयोग किया जा सकता है और ना ही राष्ट्रीय प्रतीकों का.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस याचिका का जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को 23 दिसंबर तक का समय दिया है. इसके बाद याचिकाकर्ता फिर से अपना पक्ष रखेंगे. मामले की अगली सुनवाई तीन जनवरी को होगी.
केंद्रीय सूचना आयोग के मुताबिक PM CARES फंड RTI के तहत नहीं आता.
इससे पहले बीती दो दिसंबर को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने पीएम केयर्स फंड को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला था. उन्होंने पीएम केयर्स फंड को सदी का सबसे बड़ा घोटाला बताया. मीडिया से बातचीज करते हुए ममता बनर्जी ने कहा था कि मोदी सरकार ने पीएम केयर्स फंड में आम जनता से पैसे लिए हैं, हालांकि, सरकार इसका ऑडिट नहीं करने देती.
ममता बनर्जी ने सवाल पूछा कि आखिर इस फंड की जांच सीबीआई और ईडी क्यों नहीं करती. बंगाल की सीएम ने इस बात के लिए भी केंद्र सरकार की आलोचना की कि पीएम केयर्स फंड सूचना के अधिकार कानून के तहत भी नहीं आता है.