अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन की तैयारियां जोरों पर हैं. मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम के बाल रूप वाली प्रतिमा स्थापित होगी. इसके लिए देश के तीन जाने-माने मूर्तिकारों ने मूर्तियां तैयार की हैं. प्राण प्रतिष्ठा के लिए बनाई गईं तीन मूर्तियों में से दो ‘श्याम शिला’ से तैयार की गई हैं, जबकि तीसरी मूर्ति श्वेत यानी सफेद है. इनमें वो मूर्ति भी शामिल है जिसे प्रसिद्ध शिल्पकार अरुण योगीराज ने बनाया है.
'राम लला' की मूर्ति का रंग श्याम होगा या श्वेत? और ये सवाल उठा क्यों?
मंदिर के गर्भगृह में तीन प्रतिमाओं में से किसी एक प्रतिमा को स्थापित किया जाएगा. इन तीन में से दो प्रतिमाएं श्याम रंग की हैं, जबकि एक प्रतिमा श्वेत है.

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने 1 जनवरी को X पर अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के लिए चुनी जाने वाली मूर्ति से जुड़ी जानकारी दी थी. उन्होंने कहा था कि भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए मूर्ति का चयन फाइनल हो गया है. उनके मुताबिक कर्नाटक के अरुण योगीराज की बनाई भगवान राम की मूर्ति राम मंदिर में स्थापित की जाएगी. हालांकि, मंदिर ट्रस्ट की ओर से इस बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं दी गई है.
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इससे पहले मंदिर ट्रस्ट की तरफ से इतना बताया गया था कि मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम के बाल रूप वाली मूर्ति स्थापित होगी. मूर्ति 51 इंच की होगी. ये भी बताया था कि मूर्ति तैयार करने का काम देश के तीन बड़े मूर्तिकारों को सौंपा गया था. तीनों ही मूर्तिकारों ने 'राम लला' की मूर्ति बनाई है. इनमें से किसी एक मूर्तिकार की बनाई मूर्ति चुनी जाएगी.
ये तीन मूर्तिकार कौन हैं?एक मूर्तिकार कर्नाटक के अरुण योगीराज हैं. दूसरे मूर्तिकार कर्नाटक के ही गणेश भट्ट हैं. वहीं तीसरे मूर्तिकार राजस्थान के सत्यनारायण पांडे हैं.
कर्नाटक के दोनों मूर्तिकारों की बनाई मूर्तियां गहरे नीले-ग्रे पत्थर, जिन्हें 'श्याम शिला' कहा जाता है, से तैयार की गई हैं. वहीं सत्यनारायण पांडे की बनाई मूर्ति शुद्ध सफेद है, जिसे राजस्थान के मकराना संगमरमर से बनाया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक तीनों मूर्तियों को रेटिंग देने के लिए दिसंबर में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की एक बैठक हुई थी. ट्रस्ट के 11 सदस्यों में से ज्यादातर ने अरुण योगीराज की बनाई श्याम रंग' वाली मूर्ति को सबसे अधिक रेटिंग दी थी. लेकिन कहा जा रहा है कि मीटिंग में एक सीनियर ट्रस्टी ने 'श्वेत' रंग की प्रतिमा को प्राथमिकता दी. इस वजह से मीटिंग का कोई नतीजा नहीं निकला.
रिपोर्ट के मुताबिक एक सूत्र ने बताया कि कर्नाटक के अरुण योगीराज की बनाई मूर्ति को दी गई नंबर एक रेटिंग नहीं बदलेगी. वहीं दूसरे सूत्र ने कहा है कि मंदिर ट्रस्ट की ओर से अंतिम निर्णय की घोषणा मकर संक्रांति यानी 14-15 जनवरी तक किए जाने की संभावना है.
किस रंग में दिखाए जाते हैं राम?आपने राम के बाल रूप और राम दरबार वाली कई तस्वीरें देखी होंगी. ज्यादातर तस्वीरों में उनको नील वर्ण यानी नीले रंग का दिखाया जाता है. वहीं देश भर के मंदिरों की बात करें, तो कहीं भगवान राम की प्रतिमा श्वेत यानी सफेद दिखती है, तो कहीं नीले रंग की.
वहीं तुलसीदास के रामचरितमानस में भगवान राम का शरीर श्याम रंग का बताया गया है. बालकांड में जब राम के जन्म के बारे में लिखा गया है, तो उनके शरीर के लिए 'तनु घनस्यामा' शब्द इस्तेमाल किए गए हैं. मतलब मेघ के समान श्याम शरीर. अयोध्याकांड के श्लोक में राम की स्तुति करते हुए उनके रूप को 'नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गं' कहा गया है. मतलब नील कमल के समान श्यामल, सुन्दर, सांवले और कोमल अंग वाले राम.
कोई भी मूर्ति किस रंग की होगी, ये इस पर निर्भर करता है कि उसे किस धातु या पत्थर से तैयार किया गया है. जब तक कि ऊपर से कोई दूसरा रंग ना चढ़ाया जाए. दक्षिण के ज्यादातर मंदिरों में भगवान की प्रतिमा काले पत्थरों से बनाई जाती है, इसलिए वहां की मूर्तियों का रंग श्याम होता है. वहीं सफेद पत्थर से बनाई मूर्तियां श्वेत होती हैं. अगर सोने की मूर्ति बनाई जाए, तो ये सुनहरी होगी.
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