यूपी में कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) की तैयारियों के मद्देनज़र जारी किए गए एक सरकारी फरमान से घमासान मचा हुआ है. विपक्ष के नेता निर्देश को लेकर सत्ता पक्ष की आलोचना कर रहे हैं. इसी बीच बीजेपी के पूर्व राज्यसभा सांसद मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbabs Naqvi) ने एक पोस्ट कर दिया. माना जा रहा कि नकवी का ये पोस्ट कावंड़ यात्रा को लेकर जारी किए गए निर्देश को लेकर है. इसमें उन्होंने अधिकारियों के आदेश की आलोचना की है. पोस्ट के बाद कई लोगों ने नकवी को ट्रोल कर दिया. इस पर नकवी ने भी ट्रोल्स को कड़ा संदेश दिया है.
यूपी पुलिस के कांवड़ यात्रा वाले निर्देश पर मुख्तार अब्बास नकवी का पोस्ट वायरल, ट्रोल्स को भी ट्रोल कर दिया
मुख्तार अब्बास नकवी ने अपने पोस्ट में अधिकारियों के आदेश की आलोचना की है. माना जा रहा कि नकवी का ये पोस्ट कावंड़ यात्रा को लेकर जारी किए गए निर्देश को लेकर है.

मुख्तार अब्बास नकवी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा,
“कुछ अति-उत्साही अधिकारियों के आदेश हड़बड़ी में गड़बड़ी वाली अस्पृश्यता की बीमारी को बढ़ावा दे सकते हैं. आस्था का सम्मान होना ही चाहिए, लेकिन अस्पृश्यता का संरक्षण नहीं होना चाहिए. जनम जात मत पूछिए, का जात अरु पात… रैदास पूत सब प्रभु के, कोए नहिं जात कुजात.”
नकवी का संदेश साफ है कि आस्था का सम्मान होना चाहिए, लेकिन भेदभाव को बढ़ावा न मिले.
मुख्तार अब्बास नकवी ने अपनी बात कहने के लिए भारत के महान संत रविदास (रैदास) की पंक्तियों को उधार लिया है. “जनम जात मत पूछिए, का जात अरु पात”. मतलब ये कि किसी की जाति नहीं पूछनी चाहिए, क्योंकि संसार में कोई जात-पात नहीं है… “रैदास पूत सब प्रभु के, कोए नहिं जात कुजात”, अर्थात सभी मनुष्य एक ही ईश्वर की संतान हैं, कोई भी जाति बुरी नहीं है.
लेकिन कुछ लोगों को पूर्व केंद्रीय मंत्री का पोस्ट पसंद नहीं आया. उन्होंने वरिष्ठ बीजेपी नेता को ट्रोल करना शुरू कर दिया. लेकिन नकवी सहने के मूड में नहीं थे. उन्होंने करीब डेढ़ घंटे बाद एक और ट्वीट किया,
"अरे ट्रोलर टट्टुओं...कांवड यात्रा के सम्मान, श्रद्धा का सर्टिफिकेट कम से कम मुझे तो मत बांटो, मेरा हमेशा मानना है कि कोई भी आस्था असहिष्णुता, अस्पृश्यता की बंधक नहीं होनी चाहिए.”
इस जवाब के साथ नकवी ने अपनी एक पुरानी तस्वीर भी डाली जिसमें वे खुद कांवड़ यात्रा में शामिल दिख रहे हैं.
निर्देश में क्या लिखा था?दरअसल, कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले मुजफ्फरनगर में पुलिस ने निर्देश जारी किया. इसमें लिखा था कि यात्रा के रूट पर पड़ने वाली दुकानों, ढाबों और ठेलों पर विक्रेता का नाम लिखना जरूरी होगा. इसे लेकर काफ़ी विवाद हुआ. जिसके बाद पुलिस ने एक और निर्देश जारी कर बताया कि होटल, ढाबों के मालिक अपनी 'इच्छा' से अपना नाम और रेट कार्ड दुकान के बाहर लगा सकते हैं.
विपक्ष ने योगी सरकार को इस निर्देश पर जमकर घेरा. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो मायावती समेत कई अन्य नेताओं ने इस आदेश का विरोध किया. आलोचकों का कहना है कि इससे एक गलत परंपरा की शुरुआत होगी. इस बीच सहारनपुर DIG अजय कुमार साहनी का बयान भी सामने आया. उन्होंने कहा कि पहले कई बार रेट और धर्म को लेकर कांवड़ियों में लड़ाई हुई है. जिसे देखते हुए ये फैसला लिया गया था.
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