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भाजपा में आए वो नेता जिन्होंने यूएन में पुर्तगाल की स्पीच पढ़ दी थी

कर्नाटक में भाजपा अब तेजी से बढ़ रही है.

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अमित शाह और एस एम कृष्णा
फरवरी 2011 में भारत के विदेश मंत्री ने यूएन में स्पीच देते हुए पुर्तगाल के नेता की स्पीच पढ़ दी. इनका नाम था एस एम कृष्णा. कांग्रेस के नेता थे. पर अब ये भाजपा की दी हुई स्पीच पढ़ रहे हैं.
कांग्रेस ने ऐसे दिन कभी नहीं देखे थे. कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व गवर्नर और भारत के पूर्व विदेशमंत्री एस एम कृष्णा ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन कर लिया. अमित शाह ने उनको जॉइन कराते हुए कहा कि कृष्णा सीनियर लीडर हैं. हम उनकी सीनियॉरिटी का सम्मान करते हैं. उनके आने से भाजपा कर्नाटक में मजबूत होगी. शाह ने ये भी कहा कि उनका जीवन बेदाग रहा है.
एस एम कृष्णा ने भी कहा कि उनके भाजपा के बड़े नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी से अच्छे रिलेशन रहे हैं. मोदी के नेतृत्व में देश आगे बढ़ रहा है. मैं भाजपा में शामिल होकर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं.
कांग्रेस उनके बारे में क्या सोच रही है ये लोकसभा में विपक्ष के नेता कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान से पता चलता है. खड़गे ने कहा कि कांग्रेस ने कृष्णा को सब कुछ दिया है और उनको हर तरह के पोस्ट दिए हैं. जीवन के कुछ दिन बचे हैं और वो अपने सिद्धांत बदलकर गलती कर रहे हैं.
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मल्लिकार्जुन खड़गे

कहा जा रहा है कि कृष्णा ने सोनिया गांधी को एक लाइन का लेटर लिखकर कांग्रेस की सदस्यता से रिजाइन कर दिया.
पर कौन हैं ये कृष्णा? भाजपा क्यों आतुर है उनको जॉइन कराने के लिए?
84 साल के कृष्णा इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के खास हुआ करते थे. कर्नाटक में वोक्कालिगा समुदाय के बड़े नेता हैं. कर्नाटक की राजनीति में जाति मायने रखती है. 90 के दशक तक यहां पर वोक्कालिगा और लिंगायत समुदायों का राजनीति में बहुत दखल था. ये कांग्रेस के खिलाफ लड़ते थे. कांग्रेस को ओबीसी, दलित और माइनॉरिटी का सपोर्ट था. कांग्रेस भी पॉपुलिस्ट पॉलिसी लाकर अपनी पकड़ बनाये रखती थी. पर 2004 के बाद वहां पर भाजपा और JDS का जनाधार भी बढ़ने लगा. लिंगायत भाजपा के साथ जाने लगे और वोक्कालिगा JDS के साथ. 2008 में भाजपा के बी एस येदुरप्पा मुख्यमंत्री पद तक पहुंच ही गए.
भाजपा की राजनीति लिंगायत के इर्द-गिर्द ही घूमती रहती थी. पर सदानंद गौड़ा के उभरने के बाद भाजपा की पहुंच वोक्कालिगा समुदाय तक भी पहुंचने लगी. ठीक यही पॉलिटिक्स JDS भी कर रही थी.
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सदानंद गौड़ा

कर्नाटक में 15 से 17 प्रतिशत तक वोक्कालिगा हैं. ये लोग साउथ कर्नाटक के जिलों मांड्या, हसन, मैसूर, बैंगलोर, टुमकूर, कोलार और चिकमंगलूर तक फैले हैं. मांड्या में तो आधी आबादी इन्हीं लोगों की है. 2008 में तो भाजपा की 90 सीटें लिंगायत समुदाय वाले इलाकों से ही आई थी. उस वक्त कांग्रेस ने हर समुदाय के क्षेत्र से जीत हासिल की थी. पर अब मामला बदल गया है. कांग्रेस के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया फंसे हुए हैं. उनके खिलाफ भाजपा ने काफी माहौल बनाया है.
वोक्कालिगा का मतलब है वो जो जमीन जोतता है. मतलब ये पेजेंट कास्ट है कर्नाटक की. कर्नाटक में 6 लिंगायत, 5 वोक्कालिगा, 3 ओबीसी और 2 ब्राह्मण मुख्यमंत्री रहे हैं. वहां लिंगायत 17 प्रतिशत हैं. दलित 23 प्रतिशत, कुरुबा 8 प्रतिशत और मुस्लिम 10 प्रतिशत हैं. लिंगायत और वोक्कालिगा का राजनीति पर ज्यादा पकड़ रहा है. ऐसा माना जाता है कि ये दोनों समुदाय अपनी जाति के मुख्यमंत्रियों के लिए वोट करते हैं. पर अब राजनीति में दोनों ही थोड़े नरम पड़ने लगे हैं, सहमति की राजनीति करने लगे हैं. तो अब भाजपा का गेमप्लान कामयाब होता नजर आ रहा है.
एस एम कृष्णा के दामाद वी जी सिद्धार्थ इंडिया में सीसीडी चेन के ओनर हैं. चिकमंगलूर में वो कॉफी उगाते हैं. उसकी प्रोसेसिंग करते हैं. उनकी कंपनी का नाम अमलगमेटेड बीन कंपनी है. 1996 में उन्होंने पहला कैफे खोला था. अब उनके पास 15 सौ से ऊपर कैफे हैं. अब सारे नेता यहीं की कॉफी पिएंगे और राजनीति पर बात करेंगे. लग तो ऐसा ही रहा है.
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