कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व जज और पश्चिम बंगाल में तमलुक से बीजेपी के लोकसभा उम्मीदवार अभिजीत गंगोपाध्याय के बयान पर विवाद छिड़ा हुआ है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी पर चुनाव आयोग ने गंगोपाध्याय को नोटिस जारी किया है. ये नोटिस तृणमूल कांग्रेस की शिकायत के बाद जारी हुआ है. चुनाव आयोग ने कहा कि गंगोपाध्याय की टिप्पणी आचार संहिता का उल्लंघन करती है.
'ममता बनर्जी की क्या प्राइस है' कहने पर जज रहे अभिजीत गंगोपाध्याय को EC का नोटिस
टीएमसी ने चुनाव आयोग से मांग की है कि गंगोपाध्याय पर किसी भी रैली या जुलूस में शामिल होने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना चाहिए.

बीती 15 मई को अभिजीत गंगोपाध्याय हल्दिया में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने संदेशखाली मुद्दे को लेकर ममता बनर्जी पर टिप्पणी की. इंडिया टुडे से जुड़े सूर्याग्नी रॉय की रिपोर्ट के मुताबिक, गंगोपाध्याय ने रैली में कहा,
"वे (तृणमूल कांग्रेस) कहते हैं कि रेखा पात्रा (बीजेपी की संदेशखाली से उम्मीदवार) को 2000 रुपये में खरीदा गया था. आपकी क्या कीमत है ममता बनर्जी? अगर 8 लाख दिया जाता है तो आप एक नौकरी देती है. अगर 10 लाख आपको दिया जाता है तो राशन दूसरे देश चला जाता है. क्या आपकी कीमत 10 लाख रुपये है? क्योंकि आप केया सेठ से मेकअप करवाती हैं?"
अभिजीत गंगोपाध्याय ने आगे कहा,
TMC ने गंगोपाध्याय को बैन करने की मांग की"क्या रेखा पात्रा को खरीदना आसान है क्योंकि वो गरीब हैं? एक महिला दूसरी महिला पर इस तरह के आरोप कैसे लगा सकती हैं? क्या वो (ममता बनर्जी) महिला ही हैं? मेरे मन में कभी-कभी ये सवाल आता है."
वीडियो सामने आने के बाद तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने 16 मई को चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई. पार्टी ने शिकायत की एक कॉपी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट किया है. टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी को लिखी इस चिट्ठी में गंगोपाध्याय पर "बेहद आपत्तिजनक बातें" करने का आरोप लगाया है.
इस पत्र में लिखा गया है,
"यह साफ-साफ बीजेपी उम्मीदवार के महिला विरोधी आचरण को दिखाता है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि न्यायपालिका में प्रमुख पद पर रहने के बावजूद गंगोपाध्याय महिलाओं की गरिमा पर हमला कर रहे हैं, खासकर एक ऐसी महिला पर जो सत्ता में है. स्पष्ट है कि वे लोकसभा चुनाव में प्रासंगिक बने रहने के लिए अपने पॉलिटिकल प्रोपेगैंडा को फैला रहे हैं."
टीएमसी ने चुनाव आयोग से मांग की है कि गंगोपाध्याय के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू करने का आदेश जारी करना चाहिए. और किसी भी रैली या जुलूस में शामिल होने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना चाहिए.
वहीं, पश्चिम बंगाल की मंत्री शशि पांजा ने कहा है कि पार्टी अभिजीत गंगोपाध्याय के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी करेगी. पांजा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि गंगोपाध्याय ने ममता बनर्जी के खिलाफ 'आपत्तिजनक टिप्पणी' करके सभी सीमाएं पार कर दी हैं.
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TMC के आरोपों के जवाब में बीजेपी ने दावा किया कि ये एक "फेक वीडियो" है. BJP प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने मीडिया से कहा कि फेक वीडियो जारी करने और भाजपा को बदनाम करने के लिए टीएमसी की एक चाल है. लेकिन इससे चुनाव में कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
हालांकि अब खुद चुनाव आयोग ने नोटिस जारी कर कहा है कि अभिजीत गंगोपाध्याय की टिप्पणी किसी भी तरीके से सही नहीं है. 20 मई तक आयोग ने उनसे जवाब भी मांगा है.
इस साल 5 मार्च को अभिजीत गंगोपाध्याय ने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले कलकत्ता हाई कोर्ट के अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफे के दो दिन बाद यानी 7 मार्च को गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए. हाई कोर्ट में जज रहने के दौरान ममता सरकार और टीएमसी के खिलाफ सख्त टिप्पणियों के कारण भी गंगोपाध्याय कई बार सुर्खियों में रहे थे.
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