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'भारत का आधिपत्य स्वीकार नहीं', सिंधु जल संधि पर आसिम मुनीर का बयान आया है

पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने कहा कि वह सिंधु जल संधि को लेकर भारत से कोई समझौता नहीं करेंगे क्योंकि दक्षिण एशियाई क्षेत्र में पाकिस्तान भारत के आधिपत्य को स्वीकार नहीं कर सकता.

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आसिम मुनीर ने कहा कि सिंधु जल समझौते पर भारत से कोई समझौता नहीं होगा (India Today)

‘रस्सी जल गई पर बल नहीं गया.’ ये कहावत हमने कई बार सुनी है. पाकिस्तान को अब इसे चरितार्थ करते भी देख रहे हैं. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारतीय सेना से पिटने के बाद भी पाकिस्तान के नए-नए फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की गीदड़ भभकी जारी है. अब उन्होंने सिंधु जल संधि को लेकर कहा है कि वह भारत के साथ कभी भी इस पर समझौता नहीं करेंगे क्योंकि दक्षिण एशियाई इलाके में वह भारत के आधिपत्य को स्वीकार नहीं कर सकते.

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इंडिया टुडे ने पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग के हवाले से बताया कि आसिम मुनीर ने पाकिस्तान के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, प्रिंसिपलों और वरिष्ठ शिक्षकों के साथ चर्चा के दौरान ये बातें कही हैं. मुनीर ने कहा, 

पानी पाकिस्तान की रेड लाइन है और हम 24 करोड़ पाकिस्तानियों के इस बुनियादी अधिकार पर कोई समझौता नहीं होने देंगे.

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आसिम मुनीर ने कहा कि सिंधु जल संधि पर किसी तरह का समझौता करना दक्षिण एशियाई क्षेत्र में भारत के आधिपत्य को स्वीकार करना है. इस्लामाबाद इसे कभी मंजूर नहीं करेगा. मुनीर के अलावा पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ भी दुनिया में घूम-घूमकर पानी का रोना रो रहे हैं. हाल ही में ताजिकिस्तान के अपने दौरे पर उन्होंने भारत पर पानी को हथियार बनाकर इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. उन्होंने सिंधु जल समझौते के निलंबन की तुलना गजा संकट से करते हुए कहा कि पाकिस्तान भारत को ‘रेड लाइन’ पार नहीं करने देगा.

पहलगाम हमले के बाद निलंबित हुआ समझौता

इस साल 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि क निलंबित कर दिया था. इसके तहत सिंधु जल प्रणाली की तीन पश्चिमी नदियों पर भारत ने पाकिस्तान के नियंत्रण की शर्त समाप्त कर दी. भारत ने साफतौर पर कहा था कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करता, तब तक यह समझौता निलंबित रहेगा. 14 मई को पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय ने भारत के जलशक्ति मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर अपने इस फैसले पर फिर से विचार करने के लिए कहा था. पत्र में कहा गया था कि समझौता निलंबित रहने की स्थिति में पाकिस्तान में जल संकट गहरा सकता है.

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