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Uber ड्राइवर से बहस पड़ गई भारी, राइड कैंसिल करने पर दो छात्रों को जाना पड़ा जेल!

दोनों छात्र छुट्टियों में अपने दोस्तों से मिलने गए थे. उनकी मां ने बताया कि लौटते वक्त उन्होंने Uber बुक की. लेकिन ऐप में गलत पता डाल दिया. जब उन्हें अहसास हुआ कि उन्होंने गलत पता डाल दिया है, तो राइड कैंसिल कर दी. सारा रायता उसी के बाद फैला. घटना डेनमार्क की है.

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पूरा विवाद गलत पते को लेकर हुआ (फोटो: आजतक)

कॉलेज के दो छात्रों को एक Uber ड्राइवर के साथ बहस करना भारी पड़ गया. जिसके बाद उन्हें दो हफ्ते तक जेल में रहना पड़ा. दरअसल, छात्रों ने ऐप में गलत पता डाल दिया था. जब उन्हें इसका अहसास हुआ, तो उन्होंने राइड कैंसिल कर दी. इस बात को लेकर ड्राइवर भड़क गया. फिर क्या हुआ?

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पूरा मामला अमेरिका का है. कनाडाई मीडिया CBC न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, ओवेन रे (Owen Ray) को उनके एक दोस्त के साथ डेनमार्क के एक हवाई अड्डे पर पुलिस ने हिरासत में ले लिया. दोनों अमेरिकी राज्य ओहायो की मियामी यूनिवर्सिटी के छात्र हैं. ओवेन की मां ने बताया कि दोनों छात्र स्प्रिंग ब्रेक के लिए अपने दोस्तों से मिलने गए थे. उनकी मां ने बताया कि लौटते उन्होंने Uber बुक की. लेकिन ऐप में गलत पता डाल दिया. जब उन्हें अहसास हुआ कि उन्होंने गलत पता डाल दिया है, तो राइड कैंसिल कर दी. ओवेन की मां ने आगे बताया,

लगभग पांच मिनट बाद, Uber ड्राइवर वापस आया और उन्हें पैदल चलते हुए पाया तो उन पर चिल्लाना शुरू कर दिया.

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परिवार के वकील जॉर्डन फिनफर ने अमेरिकी मीडिया ‘ABC न्यूज’ को बताया कि ड्राइवर ने ओवन को कमर में लात मारी. जवाब में छात्र ने ड्राइवर को धक्का दिया, जिससे वह गिर गया. इसके बाद दोनों छात्र भाग गए. ड्राइवर ने आरोप लगाया कि छात्रों ने राइड का पेमेंट नहीं किया, जबकि बिल से पता चलता है कि उन्होंने पेमेंट किया था. ओवेन की मां ने बताया कि अगले दिन उन्हें एक विदेशी नंबर से मैसेज भेजा, जिसमें लिखा था,

मां, मैं कोपेनहेगन (डेनमार्क) की जेल में हूं.

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वकील फिनफर ने बताया कि गिरफ्तारी उस वक्त हुई जब छात्र हवाई अड्डे पर थे और घर के लिए लौट रहे थे. उन्होंने बताया कि उन पर कोई आरोप नहीं लगाया गया है और न ही उन्हें दोषी ठहराया गया है, लेकिन उन्हें "भागने का जोखिम" मानते हुए हिरासत में लिया गया था. ओवेन की मां ने बताया कि उन्हें दिन में 23 घंटे जेल में रखा जाता था और हफ्ते में एक दिन ही फोन पर बात होती थी. रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार, 14 अप्रैल को दोनों को रिहा कर दिया गया. हालांकि, उन्हें अपने पासपोर्ट जब्त करने और डेनमार्क में ही रहने के लिए कहा गया है.

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