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अररिया का 'असली वीडियो' आया है और मामला ज्यादा पेचीदा हो गया है

पुलिस के दावे ने तो मुद्दे को और भी उलझा दिया है.

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अररिया में देशविरोधी नारे लगने का जो कथित वीडियो वायरल हुआ है, उसमें ये दोनों चेहरे दिख रहे हैं.
14 मार्च 2018 की शाम से ही सोशल मीडिया पर एक वीडियो खूब वायरल हुआ. दावा किया गया अररिया में आरजेडी के सरफराज आलम की जीत के बाद जश्न में भारत तेरे टुकड़े होंगे और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे. खूब हंगामा हुआ, खूब सियासत हुई, जिसके बाद पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद कुछ लोग इस वीडियो को सही और कुछ लोग इस वीडियो को डॉक्टर्ड साबित करने में लग गए. लेकिन इसकी सच्चाई साबित करने का काम तो फोरेंसिक लैब का है, जिसकी रिपोर्ट अब तक सामने नहीं आई है. इसे तफ्सील से यहां
पढ़ सकते हैं.

अभी ये साफ नहीं हो पाया था कि वीडियो की सच्चाई क्या है, उससे पहले ही एक और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. इस वीडियो को ''अररिया का असली वीडियो'' कहकर फैलाया जा रहा है. लेकिन इसकी भी जांच नहीं हो पाई है. फोरेंसिक लैब अब तक इसकी भी जांच नहीं कर पाया है, लेकिन लोगों ने नतीजा निकाल लिया है. दोनों ही वीडियो को देखने में साफ तौर पर समझ आ रहा है कि वीडियो सिंक नहीं है. यानी तस्वीर पहले आती है और आवाज कुछ देर के बाद. इतना ही नहीं, इस वीडियो के कई अलग-अलग वर्जन भी सामने आ गए हैं, जिसमें अलग-अलग आवाजें हैं. इससे सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को हो रही है, जो पूरी राजनीति से दूर हैं. अररिया का कौन सा वीडियो सही है और कौन सा गलत, इसे साबित करने के लिए लोग अपनी राजनीतिक समझ के सिवाय और कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं. वो कुछ कर भी नहीं सकते हैं, क्योंकि करने का काम फोरेंसिक लैब के पास है. और इसकी वजह से मामला और भी पेचीदा हो गया है.
सरफराज आलम की जीत के बाद समर्जथकों ने जश्न मनाया. इसी दौरान देश विरोधी नारेबाजी का दावा किया गया है.
सरफराज आलम की जीत के बाद समर्जथकों ने जश्न मनाया. इसी दौरान देश विरोधी नारेबाजी का दावा किया गया है.

रही बात पुलिस की गिरफ्तारी की, तो उसने मामले को और भी उलझा दिया है. अररिया का वीडियो वायरल होने के बाद अररिया पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. उनके नाम हैं आबिद रजा, शेहजाद अफरोज और सुल्तान आजमी. शुरुआती समझ तो यही कह रही थी कि इन्होंने नारे लगाए थे, जिसकी वजह से पुलिस ने इन तीनों को गिरफ्तार किया है. लेकिन अब पुलिस ने ही पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक अररिया के डीएसपी केडी सिंह ने कहा है कि वीडियो वायरल होने के बाद माहौल खराब हो सकता था, इसलिए पुलिस को तीन लोगों को गिरफ्तार करना पड़ा. पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार किए लोगों पर आरोप है कि उन्होंने वीडियो को शेयर किया है, न कि उन्होंने देश विरोधी नारे लगाए हैं. पुलिस का ये भी कहना है कि सांप्रदायिक तनाव न फैले, इसे देखते हुए गिरफ्तारी की गई है. जब फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट आ जाएगी, तो आगे की जांच की जाएगी.
अब हमारी और आपकी बात, तो कम से कम रिपोर्ट आने का तो इंतजार करिए. फोरेंसिक लैब और कोर्ट को तय करने दीजिए कि सच क्या है और झूठ क्या. तब तक तो ऐसे वीडियो के बहकावे में मत आइए. जेएनयू का मामला अभी ज्यादाद पुराना नहीं है, जिसमें पुलिस की हालत खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली हो गई थी.


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