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'नेताओं की हेट स्पीच संविधान पर बुलडोजर चलने जैसी', अनुराग ठाकुर मामले में बोला दिल्ली HC

जस्टिस चंद्रधारी सिंह ने कहा कि मामले में FIR दर्ज करने के लिए सरकार की मंजूरी जरूरी है.

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अनुराग ठाकुर की फाइल फोटो. (फोटो: PTI)

ऊंचे पदों पर बैठने वाले लोगों को बहुत जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए. जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों, राजनीतिक और धार्मिक नेताओं के भड़काऊ भाषण संविधान के मूल्यों पर बुलडोजर चलने जैसे होते हैं. सरकार को इनके ऊपर स्पष्ट तौर पर कार्रवाई करनी चाहिए. दिल्ली हाई कोर्ट ने ऐसा कहते हुए 13 जून को केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा के खिलाफ 'हेट स्पीच' मामले में CPM नेता वृंदा करात की तरफ से डाली गई याचिका को खारिज कर दिया.

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ये याचिका एक निचली अदालत के उस आदेश के खिलाफ डाली गई थी, जिसमें अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के ऊपर कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में FIR दर्ज करने की मंजूरी नहीं दी गई थी. दिल्ली हाई कोर्ट ने निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा. अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा पर आरोप थे कि उन्होंने 2020 में CAA-NRC विरोधी आंदोलन के दौरान भड़काऊ भाषण दिए. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में FIR दर्ज करने के लिए सरकार की मंजूरी जरूरी है. 

सुरक्षित रखा था फैसला

इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने 25 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिाया था. अब 13 जून को फैसला सुनाते हुए जस्टिस चंद्रधारी सिंह ने कहा कि मामले में FIR दर्ज करने के लिए सरकार की मंजूरी जरूरी है. उन्होंने ये भी कहा कि याचिकाकर्ता दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की प्रक्रिया का पालन करने में विफल रहे हैं. 

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उससे पहले अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहूजा ने 26 अगस्त, 2020 को करात और तिवारी की शिकायत को खारिज कर दिया था. निचली अदालत ने शिकायत को खारिज करते हुए कहा था कि शिकायतकर्ताओं ने ठाकुर और वर्मा के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सक्षम प्राधिकारी से पूर्व मंजूरी नहीं ली थी.

इधर याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि सिर्फ मंजूरी की कमी के चलते शिकायत को खारिज करने का मतलब है कि शिकायतकर्ता को जांच एजेंसी का काम करने को कहना और मंजूरी देने वाली एजेंसी के खिलाफ मुकदमा चलाना.

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