राम मंदिर निर्माण के लिए 1990 में पहली बार पत्थरों की लॉट अयोध्या में लाई गई थी. तब इन पत्थरों को तराशने का काम अनुभाई सोमपुरा नाम के व्यक्ति ने शुरू किया था. अब आने वाली 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. 1990 में 51 वर्ष के रहे अनुभाई सोमपुरा अब 84 बरस के हो गए हैं. पिछले 33 साल से यहां पत्थर तराशने का जो काम चल रहा है, उसे वो ही देख रहे हैं. अनुभाई की देखरेख में जो पहला पत्थर तराशा गया था, वो मंदिर की नींव में लगा है. उस समय एक-एक पत्थर हाथ से तराशा गया था. अब 33 साल के इंतज़ार के बाद वो मंदिर बनते देख रहे हैं.
राम मंदिर के लिए पहला पत्थर तराशने वाले अनुभाई सोमपुरा अब क्या कर रहे हैं?
अनुभाई सोमपुरा (Anubhai Sompura) ने राम मंदिर निर्माण (Ram Mandir Nirmaan) के लिए 1990 में पहला पत्थर तराशा था. 33 साल के इंतज़ार के बाद अब वो मंदिर बनते देख रहे हैं.

अनुभाई ने आजतक से बात करते हुए बताया,
“1990 में पहली बार हमने ही पत्थर रखा था, पूजा-पाठ भी किया था. नृत्यगोपालदास महाराज भी साथ थे. यहां पहली छेनी हमने ही चलाई थी. पहले 2 पत्थर लाए गए थे. दोनों अभी भी यहीं हैं.”
अनुभाई ने मंदिर के तमाम पिलर जो बन-बनकर रखे हुए हैं, उन्हें दिखाते हुए बताया कि एक पिलर में बड़े-बड़े छह पत्थर लगते हैं. हर पिलर में 16 मूर्तियां बनाई गई हैं.
इन सबके बीच रामलला का सिंहासन डिज़ाइन करने की ज़िम्मेदारी संभाल रही हैं आर्किटेक्ट दक्षिता अग्रवाल. दक्षिता अग्रवाल ने आज तक से बात करते हुए कहा-
"ये सोचकर बहुत अच्छा महसूस होता है कि मैंने और मेरी टीम ने वो जगह डिज़ाइन की है, जहां कुछ दिन बाद भगवान विराजमान होंगे. हमने 10 दिन तक इसे डिज़ाइन किया, फिर इस पर काम हुआ. काम करीब-करीब पूरा है. अभी सिंहासन पर सोने की परत चढ़ाने का काम चल रहा है और ये काम भी कुछ दिन में पूरा हो जाएगा. मेरे लिए ये सौभाग्य ही है. सिंहासन पत्थर से बना है और करीब साढ़े 3 फीट ऊंचा है."
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दक्षिता ने ये भी बताया कि मंदिर में सभी दरवाजे सागौन की लकड़ी से बने हुए लग रहे हैं और इन पर सोने की परत चढ़ाई जा रही है. राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने ये भी बताया कि 15 जनवरी से 24 जनवरी तक अनुष्ठान चलेगा और इसी बीच 22 तारीख़ को प्राण प्रतिष्ठा होनी है. राम मंदिर परिसर में छह और मंदिर बनाए जा रहे हैं. सिंह द्वार से राम मंदिर में प्रवेश करने से पहले पूर्वी दिशा में एक मुख्य द्वार होगा, जहां से श्रद्धालु परिसर में आएंगे.
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