आंध्र प्रदेश में नई सरकार बनने के कुछ ही दिनों बाद तेलुगु देशम पार्टी (TDP) ने प्रदेश के पूर्व-मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी (YS Jagan Mohan Reddy) पर विशाखापत्तनम में 500 करोड़ रुपये का एक ‘महल’ बनवाने का आरोप लगाया है. ये महल रुशिकोंडा पहाड़ी को काटकर बनाया गया है, जो पर्यावरण और पारिस्थितिकी के हिसाब से बहुत संवेदनशील है. राज्य की वित्तीय स्थिति और पर्यावरण क्षति के मद्देनज़र यहां ऐसे भव्य और लग्ज़री महल की वजह पूर्व-मुख्यमंत्री विवाद में घिर गए हैं.
पहाड़ी काटकर बनाया 'सद्दाम हुसैन जैसा महल'- पूर्व CM जगन मोहन रेड्डी पर बैठेगी जांच, कहानी जान लीजिए
जिस पहाड़ी को काटकर ये महल बना है, वो पर्यावरण और पारिस्थितिकी के हिसाब से बहुत संवेदनशील है. फिर राज्य की वित्तीय स्थिति भी बहुत मज़बूत नहीं है. इन दोनों के मद्देनज़र महल के चलते पूर्व-मुख्यमंत्री विवाद में घिरे हुए हैं.
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TDP सरकार के I&PR विंग के सुशांत सुबुद्धि ने कहा है कि सरकार एक जांच टीम का गठन करेगी. वित्तीय अनियमितताओं, कोस्टल रेगुलरेट्री ज़ोन (CRZ) प्रक्रियाओं के उल्लंघन और प्रदेश के पर्यटन विभाग जैसे राज्य स्तरीय संगठनों की संलिप्तता की जांच की जाएगी. ख़बर है कि पर्यावरण और वन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय और राज्य प्रदूषण बोर्ड के सदस्य जांच टीम का हिस्सा हो सकते हैं.
रुशिकोंडा महल. बाहर से देखने पर समुद्र के सामने (sea-facing) बना 9.88 एकड़ में फैला हुआ महल. अंदर आलीशान सुविधाएं, जगमगाते झूमर, बाथटब और अन्य साज-सज्जा.
राज्य सरकार ने ‘हरिता गेस्ट हाउस’ के पुनर्विकास के हिस्से के तौर पर आंध्र प्रदेश पर्यटन विकास निगम (APTDC) को 2021 में रुशिकोंडा में गेस्ट हाउस के आधुनिकीकरण का काम सौंपा था. मई, 2021 में केंद्र सरकार ने इसके लिए CRZ की मंज़ूरी दे दी थी. तय तो था कि इसमें पर्यटकों के लिए पर्याप्त सुविधाएं होंगी. लेकिन बजाय इसके, रेड्डी सरकार ने रुशिकोंडा हिल पर तीन बड़े बड़े पैलेस बना दिए. इन तीनों में से सात-ब्लॉक की एक भव्य संरचना है, जिसे कथित तौर पर जगन रेड्डी अक्सर अपने ‘कैंप ऑफ़िस’ के तौर पर इस्तेमाल करते थे.
सबसे पहले इस प्रोजेक्ट के लिए 91 करोड़ का बजट आवंटित किया गया था और 15 महीने की समयसीमा तय की गई. तब एक बड़ा होटल बनाने की बात थी. हालांकि, टीडीपी के आरोप हैं कि ₹95 करोड़ तो सिर्फ़ ज़मीन को समतल करने पर ख़र्चे गए और ₹21 करोड़ आसपास के इलाक़े को सुंदर बनाने में.
पेड़ काटे गए, पहाड़ी समतल की गई, इतालवी संगमरमर और ऐसे ही महंगे पत्थरों को ट्रकों में भरकर पहाड़ी पर ले जाए गए. राज्य पुलिस और निजी सुरक्षा गार्डों का कड़ा पहरा रहता था. कोई भी पहाड़ी पर नहीं जा सकता था. पूर्व केंद्रीय कैबिनेट सचिव ईएएस सरमा ने केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय (MeEF) को लिखे अपने पत्र में आरोप लगाया कि पहाड़ी पर बोरवेल खोदे गए और सारी बजरी समुद्र में फेंकी गई है.
स्थानीय लोगों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने कई बार विरोध प्रदर्शन किया, मगर सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.
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विवाद तब शुरू हुआ, जब भीमिली के विधायक गंटा श्रीनिवास राव ने समुद्र-तीरे महल का दौरा किया. इस इमारत को ‘राजा महल’ बताते हुए टीडीपी नेता ने प्रोजेक्ट पर चिंता जताई. राव ने इस भव्यता की तुलना इराक़ के तानाशाह सद्दाम हुसैन और उनके क़रीबी गली जनार्दन रेड्डी के महलों से की. और, आरोप लगाए कि रुशिकोंडा हिल पर बनी भव्य संपत्ति में राज्य के खज़ाने से 500 करोड़ रुपये लगे हैं.
TDP के आरोपों का मुताबिक़ निर्माण के हिसाब-किताब को बहुत छिपाया गया था. जगन के क़रीबियों को ही ठेके दिए गए थे.

चूंकि जगन रेड्डी इस मंशा के हैं कि विशाखापत्तनम राज्य की राजधानी मिले, सो इन आरोपों को और हवा मिली. हालांकि, जगन रेड्डी की पार्टी के एक नेता ने इस बात से इनकार किया है कि पूर्व-मुख्यमंत्री ने अपने लिए ये ऑफ़िस बनवाया है. पूर्व उद्योग मंत्री जी अमरनाथ ने कहा,
विशाखापत्तनम राजधानी बनने जा रहा था. इसलिए ये संपत्ति प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की मेज़बानी के लिए थी. ये हमारे नेता का कैंप कार्यालय नहीं था.
पार्टी नेता के के रविचंद्र रेड्डी ने भी कहा कि TDP लोगों से किए गए छह वादों को पूरा करने पर ध्यान देने के बजाय, विवाद को हवा दे रही है. YSRCP के और नेताओं ने भी यही कहा कि ये सरकारी भवन है, किसी की निजी संपत्ति नहीं.
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राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) सहित अलग-अलग अदालतों में निर्माण के ख़िलाफ़ याचिकाएं दायर की गई हैं. विशाखापत्तनम के पार्षद और TDP विधायक वी रामकृष्ण बाबू ने भी याचिकाएं दायर की हैं. आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि APTDC अधिकारियों को दंडित किया जाए. पर्यावरण व वन मंत्रालय को नियमों के उल्लंघन की जांच के लिए एक संयुक्त समिति गठित करने को कहा गया है
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