
शक्तिकांत दास. फाइल फोटो. इंडिया टुडे.
सरकार को क्या फायदा होगा? शक्तिकांत दास नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज के बड़े समर्थक माने जाते हैं. माना जा रहा है कि उनकी नियुक्ति से सरकार कुछ अहम फैसलों में आरबीआई का समर्थन पा सकेगी. आरबीआई के कैश रिज़र्व और स्वायत्तता जैसे मसलों पर शक्तिकांत दास मोदी सरकार के फैसलों पर मुहर लगवा सकते हैं. दास केंद्र सरकार के आर्थिक मामलों में काफी अरसे से अपनी सेवाएं दे रहे हैं. उन्होंने मोदी सरकार के फैसलों पर दूसरे अफसरों की तरह कभी उंगली नहीं उठाई. 8 नवंबर, 2016 को जब नरेंद्र मोदी सरकार ने नोटबंदी का फैसला किया था, तब शक्तिकांत दास ने इस फैसले को लागू कराने में बड़ी भूमिका अदा की थी. उस वक्त दास को देश के ताकतवर अफसरों में गिना जाता था. वे आर्थिक मामलों के सचिव थे.
शक्तिकांत दास की अहमियत एक और बात से समझी जा सकती है. हाल में ब्यूनस आयर्स में 2 दिन की सालाना जी-20 देशों की बैठक हुई थी. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद मौजूद थे. इसी बैठक में शक्तिकांत दास को भारत का शेरपा नियुक्त किया गया था. शेरपा उस अफसर को कहते हैं, जो सरकार या सरकार के मुखिया की ओर से दूसरे देशों के साथ बातचीत करता है. दास आईएएस अफसर के तौर पर आर्थिक मामलों के सचिव, राजस्व सचिव और उर्वरक सचिव के तौर पर काम कर चुके हैं. अब उनको आरबीआई के गवर्नर की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
ओडिशा से पहले गवर्नर 26 फरवरी, 1957 को शक्तिकांत दास मूल रूप से ओडिशा से हैं. उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई भुवनेश्वर के डीएम स्कूल में हुई थी. आगे की पढ़ाई के लिए वे दिल्ली आ गए थे. यहां दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कालेज से उन्होंने इतिहास में एमए किया. फिर सिविल सेवा की तैयारी में लग गए. साल 1980 में आईएएस में सेलेक्शन के बाद उनको तमिलनाडु कैडर अलॉट हुआ. तमिलनाडु सरकार में उन्होंने उद्योग सचिव, तमिलनाडु न्यूज प्रिंट एंड पेपर्स लिमिटेड के चेयरमैन और डायरेक्टर के तौर पर अपने कैरियर की शुरुआत की. इसके बाद राज्य सरकार के विभिन्न पदो पर रहे. दास ने एलआईसी और इंडियन बैंक में डायरेक्टर के तौर पर भी काम किया. कोई 37 साल तक आईएएस के तौर पर सेवा करने के बाद वे बीते साल यानी फरवरी, 2017 में रिटायर हो गए थे.