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उस लैंड डील की कहानी जिसकी जांच की आंच अजित पवार के बेटे तक पहुंच सकती है

‘Amedia Holdings LLP’ अजित पवार के बेटे पार्थ पवार की कंपनी है. इस कंपनी ने पुणे के शहर के बीचोबीच 300 करोड़ रुपये की 42 एकड़ जमीन खरीदी है. दावा है कि इसकी असल कीमत कथित तौर पर ₹1,800 करोड़ रुपये थी. इस सौदे को पूरा करने के लिए पूरी स्टैंप ड्यूटी भी नहीं चुकाने का आरोप है.

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दाहिने से बाएं. बेटे पार्थ पवार के साथ महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार. (Mumabi Tak)

महाराष्ट्र में एक बड़े ज़मीन सौदे को 'स्कैम' बताए जाने के बाद सियासी हंगामा खड़ा कर दिया है. आरोपों के घेरे में हैं डिप्टी सीएम अजित पवार के बेटे पार्थ पवार. आरोप है कि पार्थ पवार की कंपनी ‘Amedia Holdings LLP’ ने पुणे में लगभग ₹300 करोड़ रुपये में एक ज़मीन खरीदी, जिसकी असल कीमत कथित तौर पर ₹1,800 करोड़ रुपये थी. इस सौदे को पूरा करने के लिए पूरी स्टैंप ड्यूटी भी नहीं चुकाने का आरोप है. दावा किया गया है कि इतनी बड़ी जमीन खरीद में नियमों की अनदेखी कर सिर्फ ‘500 रुपये की स्टैंप ड्यूटी’ भरी गई.

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पुणे शहर के बीचोबीच गोरेगांव पार्क के पास स्थित 42 एकड़ की जमीन को लेकर ये विवाद हो रहा है. मामला मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के दफ्तर तक पहुंच चुका है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सीएम फडणवीस ने अजित पवार के बेटे से जुड़ी कंपनी के खिलाफ ज़मीन घोटाले के आरोपों की जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार किसी भी प्रकार की अनियमितता बर्दाश्त नहीं करेगी. 

फडणवीस ने कहा,

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“अब तक जो बातें सामने आई हैं, वे गंभीर हैं. इसलिए पूरी जानकारी मिलने के बाद ही मैं विस्तृत टिप्पणी करूंगा. अगर इस सौदे में कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी. हमारी सरकार पारदर्शिता में विश्वास रखती है. जांच के बाद जो भी सच सामने आएगा, उसी के आधार पर निर्णय लिया जाएगा,”

जमीन का पुराना विवाद

इस सौदे का एक और विवादित पहलू यह है कि खरीदी गई ज़मीन ‘वतन भूमि’ श्रेणी की बताई जा रही है, जो पहले महार समुदाय को दी गई थी. बॉम्बे अवर ग्राम वतन उन्मूलन अधिनियम, 1958 के तहत इस तरह की ज़मीन को सरकार की अनुमति के बिना बेचा नहीं जा सकता. इंडिया टुडे के पत्रकार रित्विक ने पुणे के उन किसानों से बात की जो इस जमीन पर अपना दावा करते हैं. 

रित्विक से बात करते हुए एक किसान ने कहा,

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“हमारे पुरखों ने 1955 में यह जमीन खरीदी थी. 2006-07 में शीतल किशनचंद जजवानी नाम के एक बिल्डर ने इस जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी ले ली थी. उन्होंने ये वादा किया था कि वो इस जमीन का मालिकाना हक किसानों को वापस दिला देंगे. 20 साल से ज्यादा हो गए, लेकिन उन्होंने अब तक हमें ये जमीन वापस नहीं दिलाई. अभी हमें दो-तीन महीने पहले पता चला कि उन्होंने ये जमीन किसी Amedia कंपनी को बेच दी है. इन लोगों ने हमें फंसाया है. ये 300 करोड़ का पूरा स्कैम है.”

किसानों ने बताया कि जब 2006 में उनसे जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी ली गई थी, तब शीतल जजवानी ने बदले में 5-5 हजार के बैंक चेक किसानों को दिए थे. किसानों ने उन चेक्स को दिखाया भी. अब उनका कहना है कि उन्हें ‘ठगा गया है’. वे मांग कर रहे हैं कि सौदा रद्द कर उन्हें ये जमीन वापस दी जानी चाहिए. किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो वे आंदोलन करेंगे.

इस मामले पर विपक्ष का भी बयान आया है. कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने पार्थ पवार, उनके सहयोगियों और अन्य के खिलाफ धारा 420 के तहत मामला दर्ज करने की मांग की है.

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