एक फ़िल्म और है जिसके सर पर दुखों का पहाड़ टूटने वाला है. टाइगर ज़िन्दा है. सलमान खान की अगली फ़िल्म. 22 दिसंबर को रिलीज़ होनी तय हुई है. लेकिन हो सकता है इसकी भी रिलीज़ डेट तय हो जाये. वजह? वजह है सेंसर बोर्ड के नियम. क्या नियम हैं ये अगले पैराग्राफ़ में बतायेंगे. अभी एक फ़ोटो लगा देते हैं. थोड़ा मूड चेंज हो जाये. वरना टेक्स्ट-टेक्स्ट देख कर बोर हो जाओगे. (पाठकों के साथ ऐसा होता है, ऐसा हमको बताया गया है.)

अरे भाई भाई भाई भाई!
सेंसर बोर्ड का नया नियम ये है कि फ़िल्म को क्लियर करवाने के लिए उसे जमा करना पड़ता है. इस जमा करने की तारिख रिलीज़ डेट से कुछ 68 दिन पहले होनी चाहिए. अब ये 68 दिनों का टाइम तो निकल चुका है और फ़िल्म का प्रिंट अभी तक सेंसर बोर्ड के पास नहीं पहुंचा है. इसलिए अली अब्बास ज़फ़र की बनाई और कैटरीना-सलमान से लैस ये फ़िल्म शायद 22 दिसंबर को रिलीज़ न हो पाए.
पद्मावती के बारे में भी कहा यही जा रहा है कि उसकी रिलीज़ के टलने के पीछे भी यही नियम है. और अगर ऐसा सच में है तो यकीनन टाइगर ज़िन्दा है भी आगे की तारीख पर रिलीज़ हो सकती है.
इधर संजय लीला भंसाली अपनी सफाई में कह चुके हैं कि पद्मावती और खिलजी के बीच में कोई भी ऐसा सीन नहीं है जो भावनाओं को आहत कर दे लेकिन बिना देखे ही भावनाएं आहत हो चुकी हैं. और भावनाओं का ऐसा है कि एक बार आहत हो जाएं तो बवाल काट के ही छोडती हैं. इसलिए ये मामला निरंतर चलता जा रहा है. दीपिका के सर पर इनाम बढ़ता जा रहा है. टाइगर ज़िन्दा है. काला हिरन मर गया था. गाड़ी ड्राइवर चला रहा था.
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