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देश में डॉक्टरों की कमी के बीच 150 डॉक्टर डिग्री के लिए प्रदर्शन करने लगे, तब जाकर मान्यता मिली

लखनऊ के एक मेडिकल कॉलेज से MBBS कर चुके 150 डॉक्टरों का भविष्य खतरे में था. बिना मान्यता, डिग्री बेमानी होती है. अब समाधान हुआ.

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डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से MBBS करने वाले डॉक्टरों का प्रदर्शन (फोटो: लल्लनटॉप)

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज को आखिरकार उसके MBBS कोर्स के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) की मान्यता मिल गई. इस संस्थान से MBBS करने वाले 150 डॉक्टर इस मान्यता के लिए प्रदर्शन कर रहे थे. 10 जुलाई को NMC से मान्यता दिए जाने का लेटर आया.

द लल्लनटॉप के रणवीर सिंह की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 में लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में MBBS का कोर्स शुरू हुआ था. हालांकि, इसके लिए नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) की मान्यता नहीं मिली थी. छात्रों से कहा गया था कि 2022 तक, जब कि कोर्स पूरा होने वाला होगा, तब तक मान्यता मिल जाएगी. कोर्स पूरा हो गया, छात्रों की इंटर्नशिप भी हो गई थी, लेकिन मान्यता नहीं मिली.

ऐसे में MBBS करने वाले 150 डॉक्टरों का भविष्य खतरे में पड़ गया. PG कोर्स की काउंसलिंग और नौकरी की तलाश का वक्त, लेकिन संस्थान से MBBS करने वाले 150 डॉक्टर इस इंतजार में थे कि उनके संस्थान को NMC की मान्यता मिला जाए. बिना NMC की मान्यता के उनके MBBS कोर्स का कोई महत्व नहीं रहता. इस वजह से 150 डॉक्टर को जो पढ़ाई पूरी कर चुके हैं लेकिन कहीं प्रैक्टिस के लिए अप्लाई नहीं कर सकते, उन्हें प्रदर्शन करना पड़ा. प्रदर्शन के दौरान जब दी लल्लनटॉप ने इन छात्रों से बात की, तब उन्होंने क्या कहा, आप इस लिंक पर सुन और देख सकते हैं -

 प्रदर्शन में शामिल डॉ श्रवण मिश्रा ने बताया,

"मेरी इंटर्नशिप अप्रैल में खत्म हो गई. करीब तीन महीना हो गया है. नियम ये है कि इंटर्नशिप का जो पीरियड है, उसमें एक महीने आप प्रोविजनल सर्टिफिकेट पर काट सकते हो. उसके बाद आपको काउंसिल से परमानेंट सर्टिफिकेट मिलता है. ये तभी हो सकता है, जब कॉलेज को NMC मान्यता मिली हो. मान्यता वाला काम पिछले एक साल में शुरू होकर पूरा हो जाना चाहिए था. लेकिन हम पिछले तीन महीने से इनसे डिमांड कर रहे हैं कि हमें सर्टिफिकेट कब मिलेगा."

10 जुलाई को जाकर डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज को NMC से मान्यता मिल गई. नेशनल मेडिकल कमीशन के तहत आने वाले अंडर ग्रैजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड की ओर से जारी लेटर में बताया कि संस्थान को 5 साल के लिए मान्यता दी जा रही है. 5 साल के बाद इसे रिन्यू करना होगा. माने जिन छात्रों की MBBS की पढ़ाई पूरी हो गई है, अब उनकी डिग्री को मान्यता मिल गई है. ये छात्रों के लिए एक राहत देने वाली खबर है. 

लेकिन दो बड़े प्रश्न तो खड़े होते ही हैं. पहला कि हमारे यहां MBBS जैसे बेहद ज़रूरी कोर्स बिना मान्यता वाले संस्थानों में शुरू कैसे हो जाते हैं. और अगर कॉलेज शुरू हो जाने के बाद मान्यता मिलना आम है, तो फिर तकनीकी दक्षता मांगने वाली इस जटिल पढ़ाई में गुणवत्ता कैसे सुनिश्चित की जाती है.

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