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69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती केस में कोर्ट का योगी सरकार को आदेश, फिर से बनाई जाए लिस्ट

आरक्षण के नियमों का पालन नहीं किया गया.

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आरक्षण देने की मांग में प्रदर्शन भी हुए (फोटो- आजतक)

उत्तर प्रदेश सहायक शिक्षक भर्ती (Assistant Teacher Recruitment) मामले में कोर्ट ने सोमवार, 13 मार्च को सुनवाई की. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच ने 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती में मेरिट लिस्ट फिर से जारी करने की बात कही है. हाईकोर्ट का मानना है कि शिक्षक भर्ती में आरक्षण कोटे को सही से लागू नहीं किया गया है. आजतक से जुड़े आशीष श्रीवास्तव की रिपोर्ट के मुताबिक हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को तीन महीने में लिस्ट फिर से जारी करने के निर्देश दिए हैं.

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क्या है मामला? 

दरअसल, सहायक शिक्षक भर्ती के लिए सरकार ने 1 जून 2020 को लिस्ट जारी की थी. जिसके बाद शिक्षक भर्ती में आरक्षण कोटे को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लगभग 19 हजार अभ्यर्थियों ने शिक्षक भर्ती में जारी कटऑफ से 65 प्रतिशत ज्यादा अंक प्राप्त किए थे. इसके बावजूद इन अभ्यर्थियों को सामान्य कैटेगरी में शामिल नहीं किया गया था. इन शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया आरक्षित कोटे में ही पूरी कर दी गई थी. जो कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन था.

6800 शिक्षकों की लिस्ट को भी खारिज किया

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी सरकार ने 5 जनवरी, 2022 को 6800 सीटों की एक लिस्ट जारी की थी. इस लिस्ट के सामने आते ही अभ्यर्थियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था. मामला कोर्ट तक गया. अब हाईकोर्ट ने आरक्षित वर्ग के अतिरिक्त 6800 अभ्यर्थियों की इस लिस्ट को भी खारिज कर दिया है. इस लिस्ट को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि इसे बिना किसी विज्ञापन के जारी किया गया था.

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इस मामले की सुनवाई करते हुए जज ओम प्रकाश शुक्ला ने चयनित हो चुके अभ्यर्थियों को राहत दी. उन्होंने कहा कि जो सहायक शिक्षक वर्तमान समय में कार्यरत हैं, उनकी सेवा में नई लिस्ट जारी होने तक कोई भी हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा. जज ने साफ किया कि आरक्षित कैटेगरी के जिन अभ्यर्थियों ने 65 प्रतिशत या उससे अधिक अंक प्राप्त किए हैं, उन्हें जनरल कैटेगरी में ही रखा जाए. कोर्ट ने कहा है के अभ्यर्थियों के कुल अंक, कैटेगरी, सब-कैटेगरी सहित OBC-SC कैटेगरी को पूरा 27 प्रतिशत और 21 प्रतिशत आरक्षण स्पष्ट रूप से दिखाया जाए. इस मामले में याचिकाकर्ताओं का तीन साल बाद राहत मिली है.

कोर्ट के इस आदेश के बाद योगी सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. आएगा तो वो भी बताएंगे.

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