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अजमेर कांड: 100 से ज्यादा लड़कियों का गैंगरेप हुआ था, कोर्ट ने अब 6 दोषियों को सजा दी है

Ajmer 1992 Gangrape-Blackmail Case: 1992 में अजमेर की करीब 100 से अधिक स्कूली और कॉलेज छात्राओं के गैंगरेप और उन्हें ब्लैकमेल करने का मामला सामने आया था.

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1992 अजमेर रेप और ब्लैकमेल केस (फोटो: आजतक)
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चंद्रशेखर शर्मा

1992 के अजमेर गैंगरेप और ब्लैकमेल (Ajmer 1992 Gangrape and Blackmail) मामले के 6 और आरोपियों को 32 साल बाद सजा सुनाई गई है. अजमेर की विशेष कोर्ट (पॉक्सो एक्ट प्रकरण) ने 20 अगस्त को इन 6 आरोपियों को दोषी करार दिया. इन 6 दोषियों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसके साथ ही इन पर 5-5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. 

18 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था

बता दें कि 1992 में अजमेर की करीब 100 से अधिक स्कूली और कॉलेज छात्राओं के गैंगरेप और उन्हें ब्लैकमेल करने का मामला सामने आया था. इस मामले में 18 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इनमें से 5 लोग अपनी सजा काट चुके हैं. 4 लोगों को बरी किया जा चुका है. एक ने सुसाइड कर लिया था. एक के खिलाफ केस चल रहा है और एक आरोपी फरार है. वहीं बाकी के 6 आरोपियों पर मंगलवार, 20 अगस्त को कोर्ट का फैसला आया है.

इस मामले में राज्य सरकार की ओर से पैरवी करने वाले वकील विरेंद्र सिंह राठौर ने बताया,

"कोर्ट ने नफीस चिश्ती, नसीम, सलीम चिश्ती, इकबाल भाटी, सोहिल गणी, सैयद जमीर हुसैन, इन सभी 6 आरोपियों को दोषी मान लिया है."

एक न्यूज रिपोर्ट से सामने आया था ये मामला

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ये मामला तब सामने आया, जब अप्रैल 1992 में एक स्थानीय पत्रकार संतोष गुप्ता ने इस पर रिपोर्ट की. पता चला कि स्कूल और कॉलेज जाने वाली लड़कियों को बहला-फुसलाकर दूरदराज के स्थानों पर ले जाया जाता था, जहां एक या कई लोग उनका यौन शोषण करते थे.

पुलिस के मुताबिक, एक लड़की के जरिए उसकी दोस्तों को बहलाया जाता था. इसी तरह यौन शोषण का सिलसिला चलता. लड़कियों का रेप कर उनकी तस्वीरें खींची जाती थीं. फिर उन्हीं तस्वीरों के आधार पर उन्हें ब्लैकमेल किया जाता था. चुप रहने के लिए मजबूर किया जाता था.

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कई दोषी सजा काट चुके हैं, कुछ बरी भी हुए

एक फोटो लैब से लड़कियों की तस्वीरें लीक हुई थीं. संतोष गुप्ता नाम के पत्रकार ने 'नवज्योति न्यूज' पर इस मामले पर रिपोर्ट की थी. लंबी जांच के बाद इस मामले में 18 लोगों को आरोपी बनाया गया था. एक आरोपी ने 30 साल पहले केस के दौरान ही सुसाइड कर लिया था. वहीं 8 आरोपियों को दोषी मानते हुए 1998 में अजमेर की एक सत्र अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. 

2001 में राजस्थान हाई कोर्ट ने इन 8 में से 4 लोगों को बरी कर दिया था. 2003 में, सुप्रीम कोर्ट ने बाकी 4 दोषियों, मोइजुल्लाह उर्फ ​​पुत्तन, इशरत अली, अनवर चिश्ती और शमशुद्दीन की सजा घटाकर 10 साल कर दी थी. यानी ये 4 आरोपी सजा काट चुके हैं.

इस मामले में अन्य 6 आरोपियों पर मुकदमा चल रहा था, जिन्हें अजमेर की कोर्ट ने दोषी करार देते हुए सजा सुना दी है. वहीं इस केस का एक आरोपी अल्मास महाराज अब तक फरार चल रहा है, जिसके खिलाफ CBI की रेड कॉर्नर नोटिस जारी है. इसमें 2 और आरोपी थे, जिनमें से एक सजा काट चुका है और एक आरोपी पर केस चल रहा है.

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