गोवा पर पुर्तगालियों के शासन की शुरुआत हुई साल 1510 में. जब अल्फोंसो डी ऐल्बकर्की नाम के एक पुर्तगाली गवर्नर ने बीजापुर की आदिलशाही से गोवा को जीत लिया. इसके लगभग 270 साल बाद पहली बार गोवा की आजादी की पहली कोशिश हुई. इस घटना को पिंटो कॉन्सपिरेसी के नाम से जाना जाता है. कंडोलिम के एक गांव में पिंटू परिवार रहता था. इस परिवार के लोग पादरी नियुक्त होते थे. लेकिन पुर्तगालियों के शासन में इन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ता था. चर्च के ऊच पदों पर स्थानीय लोगों के बजाय पुर्तगालियों और यूरोपियन लोगों को तरजीह दी जाती थी. पिंटो परिवार ने इसके खिलाफ आवाज उठाई. लेकिन जब इनकी नहीं सुनी गई तो पिंटो परिवार ने मैसूर के टीपू सुल्तान से हाथ मिला लिया.
तारीख: गोवा की आजादी के लिए क्यों हुआ 14 साल इंतज़ार?
19 दिसंबर 1961 में आजाद हुआ था गोवा
योजना के अनुसार इन लोगों को पुर्तगाली सैनिकों के खाने में जहर मिलाना था. जिसके बाद टीपू की फौज गोवा पर हमला कर उस पर कब्ज़ा कर लेती. लेकिन योजना शुरू होने से पहले ही फेल हो गई. पिंटो परिवार ने एक स्थानीय बेकर से सेना की ब्रेड में ज़हर मिलाने को कहा, लेकिन उसने पुर्तगालियों के सामने इस षड्यंत्र का भांडा फोड़ दिया. पुर्तगालियों ने नजीर पेश करने के लिए 15 लोगों को सरेआम मौत की सजा दे दी.