The Lallantop
Logo

तारीख: ये न हुआ होता तो लाहौर भारत के पास होता, कहानी 'रेडक्लिफ लाइन' की

जब देश का बंटवारा होने की बात आई, तो दो बाउंड्री कमीशन बनाये गए. एक बंगाल के लिए और दूसरा पंजाब के लिए. हर कमीशन में दो भारतीय और दो पाकिस्तान के नुमाइंदे थे. इन दोनों का चेयरमैन सर सिरिल जॉन रेडक्लिफ को बनाया गया.

Advertisement

रेडक्लिफ लाइन कई दिलों को चीरती है. आज की तारीख़ में भी ऐसे लोग मिल जाएंगे, जो बंटवारे के पहले का लाहौर बयान करेंगे. विभाजन के दंगों का दुःख सुनाएंगे. शहर के कॉस्मोपॉलिटन कल्चर के क़सीदे पढ़ेंगे. असगर वजाहत ने तो प्ले ही लिख दिया- ‘जिस लाहौर नई देख्या ओ जन्म्याई नई’. इशरत आफ़रीं अपनी नज़्म में लिखती हैं. भले ही लाहौर आज पाकिस्तान में है, लेकिन ये हिंदुस्तान में भी हो सकता था. भारत के हाथ में आते-आते कैसे छिटक गया लाहौर? जानने के लिए देखें तारीख का ये एपिसोड.

Advertisement

Advertisement
Advertisement