रेडक्लिफ लाइन कई दिलों को चीरती है. आज की तारीख़ में भी ऐसे लोग मिल जाएंगे, जो बंटवारे के पहले का लाहौर बयान करेंगे. विभाजन के दंगों का दुःख सुनाएंगे. शहर के कॉस्मोपॉलिटन कल्चर के क़सीदे पढ़ेंगे. असगर वजाहत ने तो प्ले ही लिख दिया- ‘जिस लाहौर नई देख्या ओ जन्म्याई नई’. इशरत आफ़रीं अपनी नज़्म में लिखती हैं. भले ही लाहौर आज पाकिस्तान में है, लेकिन ये हिंदुस्तान में भी हो सकता था. भारत के हाथ में आते-आते कैसे छिटक गया लाहौर? जानने के लिए देखें तारीख का ये एपिसोड.