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तारीख: दुनिया के सबसे गहरे गड्ढे की खुदाई क्यों रोकनी पड़ी?

कहानी उस 12 इंच के छेद की. जिसे 2 दशकों तक खोदा गया.

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बड़े लोग बता गए, अंदर खोजो, असली खज़ाना वहां हैं. लेकिन चमक बाहर थी. इसलिए हमने बनाए रॉकेट और निकल पड़े तारों की, आकाशगंगाओं की खोज में. हमने चांद पर गाड़ा झंडा और तान दी एक दूरबीन. ताकि देख सकें ब्रह्माण्ड की असीम गहराइयों में. यात्रा जारी है. और किसी दिन शायद हम अंतरिक्ष के अंतिम छोर तक भी पहुंच जाएं. लेकिन अंदर का क्या? अंदर से यहां हमारा मतलब धरती के अंदर से है. बचपन में आपने पढ़ा होगा. धरती की तीन परतें हैं.सबके अंदर की परत को कहते हैं कोर. जिसमें भरा है खौलता उबलता लावा. लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि ये बात हमें पता कैसे चली? क्या किसी ने धरती के अंदर जाकर देखा वहां क्या है? जवाब है नहीं. लेकिन ऐसा इसलिए नहीं कि हमने कोशिश नहीं की. आज कहानी उस कोशिश की जो हमें धरती के अंदर 12 हजार मीटर तक लेकर गई. कहानी उस 12 इंच के छेद की. जिसे 2 दशकों तक खोदा गया. फिर कहानियां चलीं कि उस छेद से अजीब सी आवाजें आती हैं इसलिए उसे बंद कर दिया गया. सच क्या है. कैसे शुरुआत हुई इस खुदाई की. और धरती ने अपने कौन से राज़ बयान किए. चलिए जानते हैं.

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