कहानी शुरू होती है साल 1962 से. अमेरिकी राष्ट्रपति का घर - व्हाइट हाउस. जॉन ऍफ़ केनेडी तब राष्ट्रपति हुआ करते थे. ये कोल्ड वॉर के दिन थे. और क्यूबा क्राइसिस के बाद लगने लगा था कि एक न्यूक्लियर युद्ध बस बांह भर की दूरी पर खड़ा है. क्यूबा क्राइसिस की कहानी यूं है कि सोवियत संघ ने अपने न्यूक्लियर हथियार अमेरिका के एकदम पड़ोस में, क्यूबा में तैनात कर दिए थे. जिसकेचलते एक बड़ा संकट खड़ा हो गया. अंत में कूटनीति से ये संकट टल तो गया, लेकिन सबको एहसास हुआ कि न्यूक्लियर युद्ध कितना नजदीक आ सकता है. ऐसे में एक रोज़ केनेडी ने अपने जॉइंट चीफ्स से पूछा,
तारीख: रूस पर परमाणु हमला करने वाला था अमेरिका?
कूड़े में कैसे पहुंचे न्यूक्लियर दस्तावेज़?
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"परमाणु युद्ध की आपकी योजना अगर सोचे-समझे तरीके से पूरी हो जाती है, तो फिर सोवियत संघ और चीन में कितने लोग मारे जाएंगे?"
सवाल का आशय था कि अगर अमेरिका पहले हमला करे तो कितने लोग मारे जाएंगे? कुछ रोज़ बाद एक सीक्रेट लिफ़ाफ़े में इस सवाल का जवाब आया. जवाब था - "हमले के तुरंत बाद करीब 27 करोड़ लोग मारे जाएंगे'
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