इस कहानी की शुरुआत होती है 1570 से. कभी फ़ारस के बादशाह के दरबार में ऊंचे ओहदे में रह चुका घियास बेग अब मुफ़लिसी में दिन गुज़ार रहा था. सिर पर बड़ा उधार था. साथ ही तेहरान में सिया-सुन्नी की बीच लड़ाई से वो तंग आ चुका था. इसके चलते साल 1570 में उसने हिंदुस्तान का रुख़ किया. यहां आगरा में मुग़लों का तख़्त सजा था और उसे उम्मीद थी बादशाह अकबर उस पर रहमत करेंगे. देखिए वीडियो.
तारीख: मुगल सल्तनत को 16 साल तक अपनी मुट्ठी में रखने वाली नूर जहां
आगरा में मुग़लों का तख़्त सजा था और उसे उम्मीद थी बादशाह अकबर उस पर रहमत करेंगे.
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