परिवार नियोजन. 1952 में जब देश में पहली बार चुनाव हुए, उसी साल सरकार ने जनता को इस शब्द से वृहद स्तर पर परिचित कराया. तब ये नया ही था. कइयों के लिए ये सोच पाना भी अजीब था कि क्या अब ये भी सरकार बताएगी कि बच्चे कितने पैदा करने हैं. लेकिन तब भारत परिवार नियोजन पर इतने बड़े स्तर पर बात करने वाले चुनिंदा देशों में से ही था. तबसे परिवार नियोजन को लेकर न जाने कितने नारे आए, जिन्हें हमने-आपने दीवारों पर पुते हुए देखा, ट्रेन-बस पर चस्पा देखा. बच्चे 2 ही अच्छे..छोटा परिवार, सुखी परिवार..क्यों इतनी बातें होती हैं परिवार नियोजन पर, क्या है वो फ़ैसला, जिससे ये मुद्दा एक बार फिर बहसों में ज़िंदा हो गया है, क्या आबादी कम होनी चाहिए वाला तर्क इतना ही सरल-सीधा है? और क्या भारत की आबादी वाकई इतनी तेज़ी से बढ़ रही है, कि तुरंत कदम उठाना ज़रूरी है? आज इन सारे सवालों पर बात करेंगे. नमस्ते मेरा नाम है निखिल और आप देखना शुरू कर चुके हैं दि लल्लनटॉप शो.
दी लल्लनटॉप शो: राजस्थान टू चाइल्ड पॉलिसी क्या है? ऐसे ही कानून ने चीन का क्या हाल किया?
1952 में जब देश में पहली बार चुनाव हुए, उसी साल सरकार ने जनता को इस शब्द से वृहद स्तर पर परिचित कराया.
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