भारत रत्न नानाजी देशमुख की कहानी, जो अपने राजनीतिक जीवन के शीर्ष पर पहुंचकर रिटायर हो गए
दक्षिणपंथी राजनीति का इकलौता ऐसा नाम, जिसने 60 बरस की उम्र में संन्यास ले लिया.
नानाजी देशमुख. जनसंघ के शुरुआती बड़े नेताओं में से एक. जो सांसद रहे और केंद्र में मंत्री बनने से इनकार कर दिया. नानाजी देशमुख का कद बीजेपी के बड़े नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के बराबर का था. लेकिन उन्होंने सत्ता की बजाय समाज सेवा को चुना. 60 साल की उम्र में राजनीति से रिटायरमेंट ले लिया. और देश का पहला शिशु मंदिर खोल दिया. अब सरकार ने भारत रत्न दिया है.